भर्ती प्रक्रिया बंद होने के लंबे समय बाद अप्रकाशित योग्यता का सहारा नहीं लिया जा सकता, भले ही रिक्तियां बची हों : राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच का आदेश निरस्त करते हुए स्पष्ट किया कि कोई भी अभ्यर्थी ऐसी योग्यता के आधार पर नियुक्ति नहीं मांग सकता, जो उसने भर्ती प्रक्रिया के दौरान कभी प्रस्तुत ही नहीं की हो और जिसे वह कई वर्षों बाद केवल एक याचिका में उजागर करे।
जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने यह भी कहा कि केवल इस आधार पर कि रिक्तियां बची हुई हैं, अभ्यर्थी को उन दस्तावेज़ों पर विचार करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता, जिन्हें लम्बे समय बाद प्रस्तुत किया गया हो।
मामला एक अपील का था, जिसमें राज्य ने सिंगल बेंच द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत राज्य को निर्देश दिया गया था कि वह शिक्षक पद के एक उम्मीदवार की पात्रता उसके स्नातक अंकपत्र के आधार पर जांचे, जबकि उसने भर्ती के आवेदन में इसे कभी उल्लेखित ही नहीं किया था।
मामला
प्रत्युत्तरकर्ता ने REET परीक्षा में पात्रता अर्जित कर ली थी, लेकिन सीनियर माध्यमिक परीक्षा के अंकों के आधार पर वह पात्रता के मानक पूरे नहीं करता था। इसी आधार पर उसे नियुक्ति से वंचित कर दिया गया।
उसने पहले एक रिट दायर की, जिसे बाद में वापस ले लिया। दो साल छह महीने बाद उसने एक और याचिका दायर कर कहा कि उसने गलती से सीनियर माध्यमिक के आधार पर अर्हता दिखाई, जबकि उसके स्नातक अंकपत्र के आधार पर वह पात्र था। इसलिए उसकी पात्रता स्नातक के आधार पर जांची जानी चाहिए।
सिंगल बेंच ने उसकी दलील स्वीकार की, जिसके विरुद्ध राज्य ने अपील की।
राज्य सरकार ने तर्क दिया कि 2018 के भर्ती आवेदन में ग्रेजुएट की योग्यता का कोई उल्लेख नहीं था। पूरा आवेदन सीनियर माध्यमिक अंकपत्र पर आधारित था। इसलिए लगभग ढाई साल बाद वह अपनी पात्रता बदलने की मांग नहीं कर सकता।
खंडपीठ ने कहा कि आवेदन पत्र में कहीं भी वैकल्पिक योग्यता का उल्लेख नहीं था और इतना लम्बा समय बीत जाने के बाद यह दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता कि आवेदन में कोई अनजाने में हुई गलती थी।
कोर्ट ने कहा,
“ऐसी अनुमति किसी अभ्यर्थी को नहीं दी जा सकती सिंगल बेंच द्वारा इसे अभ्यर्थी की अनजाने में हुई त्रुटि मानकर राहत देना भर्ती मामलों में गलत उदाहरण स्थापित करेगा।”
कोर्ट ने आगे कहा,
“कानून का स्थापित सिद्धांत है कि भर्ती एजेंसी अभ्यर्थी की पात्रता केवल उसी जानकारी के आधार पर परखेगी, जो उसने आवेदन पत्र भरते समय दी हो या फिर किसी निर्धारित सुधार अवधि में दी हो। इसके बाद बदलाव स्वीकार नहीं किया जा सकता।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल सीटें खाली होने का यह अर्थ नहीं है कि उम्मीदवार वर्षों बाद नए दस्तावेज़ों के आधार पर अपना दावा पेश कर दे।
इसके साथ ही खंडपीठ ने अपील स्वीकार करते हुए सिंगल बेंच का आदेश रद्द कर दिया।