राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम बोर्ड के अध्यक्ष की पत्नी की भूमि के बगल में जिला अस्पताल स्थापित करने का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि देवली में जिला अस्पताल नगर निगम बोर्ड के अध्यक्ष की पत्नी की भूमि के बगल में स्थापित किया जा रहा है, जिससे उसकी भूमि का मूल्य बढ़ाया जा सके।
जस्टिस अवनीश झिंगन की पीठ ने फैसला सुनाया कि अस्पताल स्थापित करना नीतिगत निर्णय है और न्यायालय इस पर अपील नहीं कर सकता।
याचिकाकर्ता का मामला यह था कि अस्पताल को केवल इसलिए निर्दिष्ट भूमि पर स्थापित किया जा रहा है, क्योंकि वह भूमि नगर निगम बोर्ड के अध्यक्ष की पत्नी की भूमि से सटी हुई है।
यह तर्क दिया गया कि अस्पताल स्थापित करने के लिए देवली में अधिक उपयुक्त स्थान उपलब्ध होने के बावजूद अध्यक्ष की पत्नी की भूमि के मूल्य को बढ़ाने के लिए निर्दिष्ट भूमि को चुना गया।
याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत तर्कों से प्रभावित न होते हुए न्यायालय ने कहा कि अध्यक्ष की पत्नी की भूमि का अस्पताल के लिए निर्दिष्ट भूमि से सटा होना मात्र तथ्य ही दुर्भावना का आरोप लगाने का कोई आधार स्थापित नहीं करता। इसलिए अस्पताल स्थापित करने के लिए स्थान तय करना एक नीतिगत निर्णय है, न्यायालय इसके विरुद्ध अपील पर निर्णय नहीं लेगा।
इसके अलावा न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि याचिकाकर्ता द्वारा अध्यक्ष की पत्नी को वर्तमान मामले में पक्षकार बनाए बिना आरोप लगाए गए।
तदनुसार, न्यायालय ने निर्णय लिया कि नगर निगम बोर्ड के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: जितेन्द्र सिंह बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य।