मृतक सरकारी कर्मचारी के परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य होने के नाते विवाहित बेटी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के उस आदेश के खिलाफ चुनौती खारिज की, जिसमें राज्य को प्रतिवादी को अनुकंपा नियुक्ति देने का निर्देश दिया गया, जो मृतक कर्मचारी की विवाहित बेटी है जिसका पति भी कार्यरत था और कमाता था।
जस्टिस अवनीश झिंगन और जस्टिस प्रमिल कुमार माथुर की खंडपीठ ने हीना शेख बनाम राजस्थान राज्य (हीना शेख मामला) में न्यायालय की फुल बेंच के निर्णय पर कैट की निर्भरता की पुष्टि की जिसमें यह निर्णय लिया गया कि मृतक कर्मचारी की विवाहित बेटी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है।
मृतक कर्मचारी उत्तर पश्चिम रेलवे का सरकारी कर्मचारी थे। उसकी मृत्यु के बाद उसकी विवाहित बेटी कर्मचारी के परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य होने के नाते अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। यह आवेदन खारिज कर दिया गया, जिसके खिलाफ प्रतिवादी द्वारा मूल आवेदन दायर किया गया।
ट्रिब्यूनल ने हीना शेख मामले पर भरोसा करते हुए मामले को संबंधित विभाग को वापस भेज दिया, जिससे प्रतिवादी की योग्यता के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति पर विचार किया जा सके। इस निर्णय से व्यथित होकर राज्य द्वारा याचिका दायर की गई, जिसमें तर्क दिया गया कि बेटी विवाहित है। उसका पति भी कार्यरत है जिससे वह अनुकंपा नियुक्ति के लिए अयोग्य है।
तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने कैट द्वारा हीना शेख मामले पर दिए गए भरोसे से सहमति जताते हुए कहा कि कैट के आदेश में कोई कानूनी या तथ्यात्मक त्रुटि नहीं है।
न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि विभाग द्वारा प्रतिवादी के अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को खारिज करने वाला आदेश गैर-वाक्य आदेश था। चूंकि इस तरह के आदेश के नागरिक परिणाम होते हैं, इसलिए इसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करने के कारण बरकरार नहीं रखा जा सकता।
तदनुसार, याचिका खारिज कर दी गई।
टाइटल: यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य बनाम श्रीमती रिंकी शर्मा