यौन सामग्री फारवर्ड करने के आरोपी युवक को सशर्त जमानत, हाईकोर्ट ने 3 साल सोशल मीडिया से दूर रहने को कहा
राजस्थान हाईकोर्ट ने आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित करने और सोशल मीडिया पर महिला को डराने-धमकाने के आरोपी 19 वर्षीय युवक को जमानत दी। हालांकि कोर्ट ने एक अनूठी शर्त भी लगाई कि आरोपी अगले तीन साल तक किसी भी रूप में अपने या किसी फर्जी नाम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं करेगा।
जस्टिस अशोक कुमार जैन ने कहा कि अन्य परिस्थितियों और याचिकाकर्ता के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, जो एक कॉलेज का स्टूडेंट है, जमानत दी जा सकती है। हालांकि यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त शर्तें लगाई गईं ताकि आरोपी की दुर्भावनापूर्ण और मनमानी हरकतों से पीड़िता की सुरक्षा और वैवाहिक जीवन खतरे में न पड़े।
यह शिकायत एक 23 वर्षीय विवाहित महिला ने दर्ज कराई थी। उसने आरोप लगाया कि आरोपी ने उसकी आपत्तिजनक कंटेंट को एडिटिड कर सोशल मीडिया पर प्रकाशित किया, जिससे उसकी छवि और वैवाहिक जीवन को नुकसान पहुंचा। इसके अलावा, वह उस सामग्री का उपयोग कर उसे डरा-धमका और ब्लैकमेल भी कर रहा था।
आरोपी की ओर से पेश वकील ने जमानत मांगते हुए कहा कि अब जांच में उसकी और आवश्यकता नहीं है, उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। वह ऐसे अपराधों को न दोहराने और किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग न करने का वचन देता है।
दलीलों को सुनने और रिकॉर्ड की जांच करने के बाद कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि याचिकाकर्ता ने अपराध करने और महिला की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए अलग-अलग मोबाइल फोन और इंस्टाग्राम आईडी का उपयोग किया।
अन्य कारकों जैसे कि अपराध का प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा सुनवाई योग्य होना जांच की स्थिति, आरोपी की उम्र और उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड न होना, इन सब पर विचार करते हुए कोर्ट ने उसे जमानत देने का फैसला किया। हालांकि, यह शर्त रखी कि वह किसी भी नाम से किसी भी तरीके से अगले 3 साल तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं करेगा।