CrPC की धारा 102 | क्या सिर्फ़ पुलिस के पत्र पर बैंक खाते ज़ब्त किए जा सकते हैं? राजस्थान हाईकोर्ट ने बार के सदस्यों से सुझाव मांगे
राजस्थान हाईकोर्ट ने सामान्य नोटिस जारी कर बार के सभी सदस्यों को इस मुद्दे पर विचार करने के लिए आमंत्रित किया, क्या सिर्फ़ पुलिस (जांच एजेंसी) से प्राप्त पत्र के आधार पर CrPC की धारा 102, के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना खाताधारक का बैंक अकाउंट ज़ब्त किया जा सकता है?
जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ऐसे व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसका बैंक अकाउंट बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने पुलिस से प्राप्त एक पत्र के आधार पर कथित तौर पर CrPC की धारा 102 के तहत निर्धारित किसी भी प्रक्रिया का पालन किए बिना ज़ब्त कर लिया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि इसी तरह के मुद्दे पर मुकदमों की बाढ़ आ गई, जिसमें धोखाधड़ी वाले लेनदेन और साइबर अपराधों से संबंधित जांच एजेंसियों के पत्रों के आधार पर संबंधित बैंक द्वारा निर्दोष व्यक्तियों के हज़ारों बैंक अकाउंट ज़ब्त किए गए।
वकील ने चेन्नई के पुलिस आयुक्त द्वारा जारी एक परिपत्र का हवाला दिया, जिसमें बैंक अकाउंट की जब्ती की कार्यवाही शुरू करने से पहले CrPC की धारा 102 और CrPC की धारा 41(ए) के अनुरूप एक तंत्र का प्रावधान किया गया था। राजस्थान में ऐसा कोई परिपत्र जारी नहीं किया गया था।
न्यायालय ने कहा कि इस मामले पर विचार किया जाना आवश्यक है। मामले को 18 अगस्त, 2025 के लिए सूचीबद्ध करते हुए और प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने बार के सदस्यों को ऊपर वर्णित मुद्दे पर विचार करने के लिए एक सामान्य नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: पदम कुमार जैन बनाम बैंक ऑफ महाराष्ट्र एवं अन्य