आरोपित के निष्पक्ष मुक़दमे के अधिकार को पुलिस की निजता पर प्राथमिकता: राजस्थान हाईकोर्ट ने अधिकारी के मोबाइल लोकेशन रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का आदेश दिया

Update: 2025-11-18 08:35 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने मादक पदार्थ नियंत्रण कानून के एक मामले में आरोपी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को देखते हुए महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। आरोपी का कहना था कि जिस पुलिस अधिकारी ने उसके ख़िलाफ़ बरामदगी दिखाई वह घटना से पहले ही स्थल पर मौजूद था और उसी ने उसके पास से बरामद दिखाए गए पदार्थ को वहां रखा। इसी पृष्ठभूमि में न्यायालय ने उक्त अधिकारी के मोबाइल टावर लोकेशन का रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का निर्देश दिया।

जस्टिस अनुप कुमार ढांड ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि यद्यपि इस प्रकार का निर्देश पुलिस अधिकारियों की निजता के अधिकार का उल्लंघन करेगा परंतु संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आरोपी का निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच व मुक़दमे का अधिकार पुलिस अधिकारी की निजता से अधिक महत्त्वपूर्ण है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत न्याय संहिता (BNS) की धारा 94 कोर्ट को किसी भी दस्तावेज़ या सामग्री को तलब करने का अधिकार देती है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी शामिल हो सकते हैं। यदि किसी तथ्य पर दोनों पक्षों में विवाद हो तो आरोपी को इस धारा का उपयोग कर आवश्यक सामग्री प्राप्त करने का पूरा अधिकार है।

मामले की पृष्ठभूमि यह थी कि आरोपी के विरुद्ध मादक पदार्थ कानून के तहत FIR दर्ज की गई। इससे पहले उसके क्लिनिक की तलाशी ली गई, जिसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला। बाद में उसी दिन दोबारा तलाशी ली गई और दावा किया गया कि इस बार प्रतिबंधित पदार्थ बरामद हुआ। आरोपी का कहना था कि पूरा मामला गढ़ा हुआ है और पुलिसकर्मी पहले से ही वहाँ मौजूद थे।

इसी कारण आरोपी ने BNS की धारा 94 के तहत संबंधित पुलिस अधिकारियों के कॉल डाटा रिकॉर्ड और मोबाइल टावर लोकेशन सुरक्षित रखने व न्यायालय में मंगवाने का अनुरोध किया, जिसे ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके विरुद्ध आरोपी हाईकोर्ट पहुंचा।

हाईकोर्ट ने कहा कि कॉल डाटा रिकॉर्ड और टावर लोकेशन जैसी सामग्री विलंब होने पर हमेशा के लिए नष्ट हो सकती है, इसलिए उसे यथाशीघ्र सुरक्षित किया जाना आवश्यक है। न्यायालय ने यह भी माना कि पुलिस अधिकारियों की निजता का कुछ हिस्सा प्रभावित होगा परंतु सत्य की खोज और निष्पक्ष न्याय की प्रक्रिया इसके लिए अधिक महत्त्वपूर्ण है।

कोर्ट ने टिप्पणी की कि ऐसे इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य आरोपी के बचाव के लिए अत्यंत आवश्यक हो सकते हैं। यदि उन्हें उपलब्ध ही न कराया जाए तो यह न्याय से वंचित करने के समान होगा।

अंततः कोर्ट ने याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह आवश्यक रिकॉर्ड तलब करे। साथ ही यह भी कहा कि जब रिकॉर्ड प्रस्तुत किया जाए तब उसमें आने–जाने वाले कॉलों के नंबरों को गोपनीयता के लिए ढक दिया जाए।

Tags:    

Similar News