सरकारी भर्ती परीक्षा में डिग्री जालसाजी और नकल साजिश का मामला: राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों को राहत देने से किया इंकार
राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन व्यक्तियों (जिसमें एक महिला भी शामिल है) की याचिकाएं खारिज कर दीं, जिन्होंने शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जालसाजी और सरकारी भर्ती परीक्षा में नकल के आरोप में दर्ज FIR रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि ये ऐसे गंभीर अपराध हैं, जो जनहित से जुड़े हुए हैं। FIR को समय से पहले रद्द करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और ईमानदार उम्मीदवारों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाएगा।
जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ ने कहा,
“FIR में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 467, 468, 471 और 120-बी के तहत दंडनीय अपराध को दर्शाते हैं। ये आरोप सरकारी भर्ती प्रणाली की पारदर्शिता पर चोट करते हैं और जनहित से जुड़े गंभीर अपराध हैं। ऐसी FIR को समय से पहले रद्द करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग और ईमानदार उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन होगा।”
मामले में महिला ने लेक्चरर पोस्ट के लिए आवेदन किया था, जिसमें उसने वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी से पीजी कर रही होने का दावा किया था। दस्तावेज सत्यापन में उसकी शैक्षणिक योग्यता में गड़बड़ियां पाई गईं। जांच में मेवाड़ यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियों और सरकारी परीक्षा में नकल साजिश का बड़ा जाल सामने आया। मामले की जांच एसओजी को सौंपी गई और याचिकाकर्ताओं का नाम बाद की जांच में सामने आया।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनका नाम FIR में नहीं था और उनके खिलाफ ठोस साक्ष्य नहीं हैं। वहीं सरकार की ओर से कहा गया कि एसओजी ने पूरी जांच के बाद डिजिटल और भौतिक साक्ष्यों से उनके साजिश से जुड़े होने के प्रमाण पाए हैं।
कोर्ट ने यह भी माना कि वीडियो रिकॉर्डिंग से यह प्रथम दृष्टया स्पष्ट हुआ कि परीक्षा में आवेदक की जगह तीसरे याचिकाकर्ता ने परीक्षा दी थी। साथ ही याचिकाकर्ताओं की फरारी और जांच में सहयोग न करना उनकी मंशा पर सवाल उठाता है।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के भजनलाल बनाम हरियाणा राज्य मामले का हवाला देते हुए कहा कि केवल रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामलों में ही FIR रद्द की जानी चाहिए, जब आरोपों में कोई संज्ञेय अपराध न बनता हो या FIR दुर्भावना से दर्ज की गई हो। यह मामला उन स्थितियों में नहीं आता।
अंततः कोर्ट ने याचिकाएं खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को जांच में पूर्ण सहयोग देने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: बाबूलाल बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य संबद्ध याचिकाएं