"पारिवारिक संबंध सर्वोपरि, अदालतें कलह को बढ़ावा नहीं दे सकती: राजस्थान हाईकोर्ट ने पारिवारिक विवाद पर क्रॉस एफआईआर खारिज की
परिवार के सदस्यों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज क्रॉस एफआईआर खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि अदालत का प्राथमिक उद्देश्य पारिवारिक बंधन को मजबूत करना होना चाहिए, न कि परिवार के सदस्यों के बीच कलह को बढ़ावा देना।
जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ एक ही परिवार के सदस्यों द्वारा विवाद के कारण आपराधिक हमले और चोट पहुंचाने के लिए दर्ज क्रॉस-एफआईआर से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
दोनों पक्षों के वकीलों का कहना था कि अगर दूसरा पक्ष आरोप लगाना बंद कर देता है तो वे भी एफआईआर सरेंडर कर देंगे। इस प्रस्तावित समाधान और पक्षों के बीच बनी सहमति के अनुसार न्यायालय ने माना कि सामाजिक शांति और पारिवारिक सद्भाव को बहाल करने के हित में एफआईआर जारी रखने का कोई उचित कारण नहीं था।
यह भी कहा गया कि एफआईआर को जारी रखने से केवल पारिवारिक तनाव बढ़ेगा और पारिवारिक संबंध सर्वोपरि हैं। इसलिए परिवारों के भीतर एकता बनाए रखने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
“दोनों एफआईआर जारी रखने से केवल पारिवारिक तनाव बढ़ेगा और रिश्तेदारों के बीच दरार और गहरी होगी। आरोप किसी आपराधिक इरादे या गंभीर गलत काम के बजाय पारिवारिक झगड़े से उत्पन्न हुए हैं।”
न्यायालय ने दोनों मामलों में एफआईआर रद्द की और याचिकाओं का निपटारा किया।
केस टाइटल: उर्वशी बिश्नोई और अन्य बनाम राजस्थान राज्य और अन्य संबंधित याचिका