पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण केवल एक बार का लाभ, करियर उन्नति का साधन नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकारी नौकरियों में पूर्व सैनिकों को दिया जाने वाला आरक्षण एक बार का लाभ है, जिसका उद्देश्य केवल पुनर्नियोजन की सुविधा देना है। इसे करियर में बार-बार उन्नति पाने का साधन नहीं बनाया जा सकता।
जस्टिस समीर जैन की पीठ ने पूर्व सैनिक की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने ग्राम विकास अधिकारी (VDO) के पद पर आरक्षण का लाभ लेकर नियुक्ति के बाद दोबारा जूनियर अकाउंटेंट पद पर उसी आरक्षण का दावा किया था।
मामला
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह अभी दो साल की प्रोबेशन अवधि पर है और स्थायी नियुक्त नहीं हुआ। इसलिए उसे अस्थायी कर्मचारी माना जाना चाहिए और वह आरक्षण का लाभ लेने का हकदार है। साथ ही उसने कहा कि VDO का वेतनमान जूनियर अकाउंटेंट से कम है, इसलिए उसे फिर से आरक्षण मिलना चाहिए।
वहीं राज्य सरकार ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता को नियमित चयन प्रक्रिया से स्थायी रिक्ति पर नियुक्त किया गया। प्रोबेशन पर होना उसे अस्थायी कर्मचारी नहीं बनाता।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
प्रोबेशन अस्थायी या संविदात्मक नियुक्ति के समान नहीं है, बल्कि यह नियमित नियुक्ति का हिस्सा है।
प्रोबेशन के दौरान निश्चित वेतन या अन्य सुविधाओं पर रोक से नियुक्ति का स्वरूप अस्थायी नहीं हो जाता।
अगर एक बार नियमित नौकरी मिलने के बाद भी बार-बार आरक्षण का लाभ दिया जाए तो यह आरक्षण की नीति के उद्देश्य को ही विफल कर देगा, क्योंकि इसका मकसद बेरोजगार पूर्व सैनिकों को अवसर देना है।
किसी दूसरे पद का वेतनमान अधिक होने मात्र से दोबारा आरक्षण का दावा नहीं किया जा सकता।
फैसला
कोर्ट ने साफ कहा कि पूर्व सैनिकों को आरक्षण का लाभ केवल एक बार मिलेगा। उसके बाद वह बार-बार आरक्षण का दावा नहीं कर सकता। इसी आधार पर याचिका खारिज कर दी गई।