बेटी की शादी की तारीख में बदलाव के कारण पैरोल के लिए दूसरी याचिका सुनवाई योग्य नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने NDPS Act के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति की पैरोल के लिए दूसरी याचिका खारिज की, जो अपनी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए दायर की गई थी। न्यायालय ने कहा कि केवल शादी की तारीख में बदलाव के आधार पर नई याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
जस्टिस कुलदीप तिवारी ने कहा,
"यह न्यायालय यह समझने में असमर्थ है कि केवल शादी की तारीख में बदलाव के आधार पर नई याचिका कैसे सुनवाई योग्य हो सकती है, जबकि उसी कारण से पहले की याचिका को वापस ले लिया गया था।"
न्यायालय ने यह भी कहा कि जेल प्राधिकरण ने पहले आदेश पारित किया, जो दर्शाता है कि याचिकाकर्ता ने पहले भी पैरोल की अवधि पार की थी। ताजा मामला दर्ज होने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। अब वह 26.01.2024 से, यानी 1043 दिनों की देरी के बाद (पैरोल पूरी होने के बाद जेल में वापस आने की तारीख (दिनांक 19.03.2021) से) इस मामले में निरुद्ध है।
जब न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि वर्तमान याचिका दाखिल करते समय उक्त स्पीकिंग ऑर्डर को रिकॉर्ड में क्यों नहीं रखा गया तो उसने पाया कि उसका जवाब संतोषजनक नहीं था।
न्यायालय ने कहा,
"ऐसा लगता है कि स्पीकिंग ऑर्डर (सुप्रा) को जानबूझकर इस न्यायालय से छुपाया गया। केवल याचिकाकर्ता की बेटी की शादी की तारीख बदलकर नई याचिका दायर की गई।"
जस्टिस तिवारी ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता के आचरण से यह पता चलता है कि इस न्यायालय से उक्त प्रासंगिक भाषण आदेश को छिपाने का प्रयास किया गया, जिससे वह आसानी से पैरोल का अनुकूल आदेश प्राप्त कर सके।
न्यायालय ने टिप्पणी की,
"याचिकाकर्ता का आचरण अत्यधिक निंदनीय है, और इसकी सराहना नहीं की जा सकती।"
याचिका को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा,
"यद्यपि वर्तमान याचिकाकर्ता पर इस तरह की तुच्छ याचिका दायर करने के लिए जुर्माने का बोझ डाला जाना चाहिए, लेकिन इस तथ्य को देखते हुए कि वह सलाखों के पीछे है, यह न्यायालय ऐसा करने से खुद को रोकता है।"
केस टाइटल: बृज लाल बनाम पंजाब राज्य और अन्य