पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पतंग उड़ाने के लिए 'चीनी डोर' के इस्तेमाल के खिलाफ जनहित याचिका बंद की
यह देखते हुए कि पंजाब सरकार के अधिकारियों ने प्रतिबंधित चीनी डोर के इस्तेमाल से होने वाली मौतों की सूचना देने वालों के लिए दंड और अवार्ड सहित पहले ही कदम उठाए हैं, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस खतरे पर लगाम लगाने के लिए दायर दूसरी जनहित याचिका का निपटारा कर दिया।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने कहा,
"यह स्पष्ट है कि संबंधित अधिकारियों ने चीनी डोर के इस्तेमाल से होने वाली चोट या मौत की घटना की सूचना देने वाले शिकायतकर्ता के लिए दंड निर्धारित करने के साथ-साथ 25,000/- रुपये तक के इनाम की घोषणा करके पहले ही कदम उठाए हैं।"
इसलिए न्यायालय ने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वे बार-बार न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बजाय अधिकारियों से संपर्क करें और चीनी डोर द्वारा हुई कथित मौत की घटना की सूचना दें।
खंडपीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता अभी भी अधिकारियों की निष्क्रियता से व्यथित है तो वह हमेशा संबंधित क्षेत्राधिकार मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सकता है।
न्यायालय मीडिया रिपोर्ट के आधार पर घातक चीनी डोर के उपयोग को रोकने के लिए दायर दूसरी जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें बताया गया था कि उक्त चीनी डोर के कारण छह वर्षीय बच्चे की जान चली गई।
प्राधिकरणों को याचिकाकर्ता की शिकायत पर गौर करने और एक आदेश पारित करने के निर्देश के साथ पहली याचिका का निपटारा किया गया।
इसलिए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निम्नलिखित सहित कुछ कार्रवाई की:
(1) पुलिस महानिदेशक से अनुरोध किया गया कि वे पड़ोसी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से राज्य में प्रतिबंधित चाइना डोर के प्रवेश की किसी भी संभावना को खत्म करने के लिए अंतर-राज्यीय सीमा पर सख्त जांच/निरीक्षण के लिए आवश्यक व्यवस्था करें।
(2) व्यवसाय उद्यमियों की ई-प्लेटफॉर्म साइटों को पंजाब सरकार के उपरोक्त निर्देशों का अक्षरशः पालन करने तथा बिक्री, खरीद, उत्पादन, भंडारण आदि में संलिप्त न होने की सलाह दी गई।
अदालत ने कहा कि आदेश के अनुपालन में अदालत ने नोटिस भी जारी किया, जिसमें सभी को बताया गया कि पतंग उड़ाने के लिए चीनी डोर धागे से किसी भी तरह की चोट लगने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, जो 15,00,000 रुपये तक हो सकता है। सूचना देने वाले को 25,000 रुपये का अवार्ड देने की भी घोषणा की गई।
उपरोक्त के आलोक में याचिका का निपटारा किया गया।
Case Title: Kanwar Pahul Singh v. State of Punjab and others