रिटायर कर्मचारियों सहित किसी भी कर्मचारी को नियोक्ता द्वारा की गई त्रुटिपूर्ण भुगतान की गलती का लाभ स्थायी रूप से प्राप्त करने का अधिकार नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

Update: 2025-10-24 07:26 GMT

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की खंडपीठ ने कहा कि रिटायर निम्न-स्तरीय कर्मचारियों से त्रुटिपूर्ण भुगतान किए गए लाभों की वसूली अस्वीकार्य है, लेकिन भविष्य के वेतन/पेंशन में सुधार की अनुमति है। इसके अलावा, किसी भी कर्मचारी, जिसमें सेवानिवृत्त कर्मचारी भी शामिल है, उनको नियोक्ता द्वारा की गई गलती का लाभ स्थायी रूप से प्राप्त करने का अधिकार नहीं है।

पृष्ठभूमि तथ्य

प्रतिवादी जम्मू-कश्मीर के जल शक्ति विभाग में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी (केंद्र सरकार के वर्ग ग और घ के कर्मचारियों के समकक्ष) थे। उन्हें अपने सेवाकाल के दौरान उच्च वेतनमान का लाभ दिया गया। यह लाभ 1990 के एसआरओ 59 के तहत दिया गया। हालांकि, सरकार द्वारा 15.01.1996 से एसआरओ को पहले ही वापस ले लिया गया। इसलिए कर्मचारियों को उच्च वेतनमान प्रदान करना याचिकाकर्ताओं द्वारा एक गलत कदम था।

याचिकाकर्ताओं ने गलती पाए जाने पर अधिक भुगतान की गई राशि की वसूली और वेतन निर्धारण को सही करने के आदेश जारी किए। यह वसूली प्रतिवादियों के वेतन से करने की मांग की गई। रिटायर कर्मचारियों के मामले में उनके पेंशन लाभों से। इससे व्यथित होकर प्रतिवादियों ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT), जम्मू पीठ के समक्ष मूल आवेदन दायर किया। न्यायाधिकरण ने कर्मचारियों का आवेदन स्वीकार कर लिया। इसने वसूली के आदेशों को रद्द कर दिया और उनके मूल वेतन और पेंशन को बहाल करने का निर्देश दिया। न्यायाधिकरण ने पहले से वसूल की गई किसी भी राशि को वापस करने का आदेश दिया।

इससे व्यथित होकर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ने हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि कोई भी कर्मचारी अपने सेवाकाल के दौरान गलत तरीके से प्राप्त लाभ को बरकरार रखने का हकदार नहीं है। यह तर्क दिया गया कि नियोक्ता के पास ऐसी सद्भावनापूर्ण गलतियों को सुधारने का अंतर्निहित अधिकार है।

दूसरी ओर, प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा रिटायर होने के बाद उनके वेतन या पेंशन संबंधी लाभों से वसूली करना अत्यधिक कठोर और अनुचित होगा। प्रतिवादियों ने यह भी तर्क दिया कि चूंकि उच्च वेतनमान देने की गलती याचिकाकर्ताओं द्वारा की गई, न कि प्रतिवादियों द्वारा, इसलिए प्रतिवादियों को इस गलती का लाभ उठाने की अनुमति दी जानी चाहिए।

न्यायालय के निष्कर्ष

न्यायालय ने यह माना कि न्यायाधिकरण का यह मानना ​​सही था कि पंजाब राज्य बनाम रफीक मसीह मामले में कानून के आलोक में रिटायर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से वसूली करना अनुचित है। न्यायालय ने यह भी कहा कि न्यायाधिकरण ने याचिकाकर्ताओं को गलत तरीके से निर्धारित वेतन बहाल करने और उसी आधार पर पेंशन की गणना करने का निर्देश देकर गलती की। यह भी कहा गया कि किसी भी कर्मचारी, जिसमें रिटायर कर्मचारी भी शामिल है, उनको नियोक्ता द्वारा की गई गलती का लाभ स्थायी रूप से प्राप्त करने का निहित अधिकार नहीं है।

न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि न्यायसंगत आधार पर पिछले भुगतानों की वसूली पर रोक लगाई जा सकती है, लेकिन इससे प्रारंभिक त्रुटि को उचित नहीं ठहराया जा सकता या कर्मचारी को उस गलत आधार पर भविष्य के लाभों का हकदार नहीं बनाया जा सकता। यह भी माना गया कि नियोक्ता वेतन निर्धारण में हुई सद्भावनापूर्ण गलती को सुधारने का पूर्ण हकदार है। न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादियों का गलत लाभ प्राप्त करते रहने का दावा कानूनी रूप से गलत था। परिणामस्वरूप, वसूली के विरुद्ध राहत बरकरार रखी गई। याचिकाकर्ताओं को सही वेतनमान के आधार पर पेंशन पुनर्निर्धारित करने की अनुमति दी गई।

उपरोक्त टिप्पणियों के साथ याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर रिट याचिका आंशिक रूप से स्वीकार की गई। इसके अतिरिक्त, न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश को उच्च वेतन बहाल करने और उसके आधार पर पेंशन की गणना करने के निर्देश तक रद्द कर दिया गया। यह निर्देश दिया गया कि प्रतिवादियों द्वारा गलती के तहत पहले ही प्राप्त की जा चुकी राशि की वसूली नहीं की जाएगी।

Case Name : Union Territory of J&K & Ors. vs. Abdul Rashid Malik & Ors.

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