पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जज की आलोचना करने के लिए स्वयंभू संत रामपाल के अनुयायियों के खिलाफ अवमानना का मामला बंद किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 2019 में शुरू की गई स्वतःसंज्ञान कार्यवाही में स्वयंभू संत रामपाल के 274 से अधिक अनुयायियों की बिना शर्त माफी स्वीकार की।
2019 में 'न्यायपालिका पर काला धब्बा, जज डी.आर. चालिया' नामक पुस्तक के साथ पत्र हाईकोर्ट जज को भेजा गया, जिसमें यह नोट था कि इसे रामपाल के अनुयायी द्वारा प्रकाशित किया गया और इस पर 274 लोगों के हस्ताक्षर हैं।
एडीशनल सेशन जज डी.आर. चालिया की अदालत ने रामपाल और अन्य को चार महिलाओं और एक बच्चे की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर रामपाल की रक्षा के लिए मानव-ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया।
हाईकोर्ट जज ने पुस्तक प्रकाशित करने वाले अनुयायियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की सिफारिश की थी।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि अवमानना करने वालों की ओर से हलफनामे दाखिल किए गए। उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी।
अवमानना करने वालों द्वारा अपने-अपने दावों के माध्यम से दी गई बिना शर्त माफी को ध्यान में रखते हुए यह न्यायालय प्रतिवादियों/अवमानना करने वालों द्वारा दी गई बिना शर्त माफी को स्वीकार करने के लिए बाध्य है। परिणामस्वरूप, तत्काल अवमानना याचिका बंद की जाती है और प्रतिवादियों, अवमानना करने वालों को आरोपमुक्त किया जाता है।
हलफनामे में यह प्रस्तुत किया गया कि उन्होंने अवमानना पत्र पर हस्ताक्षर वापस ले लिए हैं, जिसमें कहा गया कि अभिसाक्षी इस माननीय न्यायालय और संबंधित पुस्तिका की संपूर्ण सामग्री के लिए नामित माननीय जज से सद्भावनापूर्वक और बिना शर्त माफी मांगता है। इसके लिए उसे गहरा पश्चाताप है।"