'पुलिस के लिए भारी मात्रा में प्रतिबंधित पदार्थ रखना असंभव': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 25 किलोग्राम हेरोइन रखने के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्तियों की अपील खारिज की

Update: 2024-06-24 04:45 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 25 किलोग्राम हेरोइन रखने के लिए NDPS Act के तहत दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली अपील खारिज की। न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि प्रतिबंधित पदार्थ पुलिस द्वारा रखा गया था और आरोपी व्यक्तियों को मामले में झूठा फंसाया गया।

जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और जस्टिस एन.एस. शेखावत ने कहा,

"जमा किया गया प्रतिबंधित पदार्थ बहुत भारी है और दोनों अपीलकर्ताओं पर इस तरह का आरोप लगाना असंभव है। यहां तक ​​कि धारा 313 सीआरपीसी के तहत अपने बयानों में भी अपीलकर्ताओं ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया कि पुलिस ने उन्हें इस तरह के जघन्य अपराध में क्यों झूठा फंसाया।"

जस्टिस शेखावत ने कहा कि अपीलकर्ता यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं दे सके कि लैब में भेजे गए सैंपल के साथ कोई छेड़छाड़ की गई और सैंपल एफएसएल, पंजाब, चंडीगढ़ के कार्यालय में भेजने में 09 दिनों की देरी नगण्य हैं।

न्यायालय NDPS Act की धारा 21 के तहत दोषसिद्धि के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें आरोपी राजिंदर सिंह को आईपीसी के तहत अन्य अपराधों के साथ-साथ बीस साल के कठोर कारावास और 2 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई। अन्य आरोपी बलजीत सिंह को NDPS Act की धारा 21 के तहत 12 साल के कठोर कारावास और 1 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई।

एफआईआर के अनुसार, दोनों आरोपियों के पास उनकी कार में रखी 25 किलोग्राम हेरोइन पाई गई थी।

अपीलकर्ताओं के वकील ने जोरदार ढंग से तर्क दिया कि वर्तमान मामले में टवेरा वाहन में प्रतिबंधित पदार्थ रखने से संबंधित गुप्त सूचना मिलने के बाद एफआईआर दर्ज की गई। NDPS Act की धारा 42 के अनिवार्य प्रावधानों के अनुसार, गुप्त सूचना को तुरंत लिखित रूप में दर्ज किया जाना चाहिए तथा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा जाना चाहिए।

वकील ने कहा कि हरविंदरपाल सिंह नामक इंस्पेक्टर को गुप्त सूचना मिली थी। हालांकि, न तो उन्होंने गुप्त सूचना को लिखित रूप में दर्ज किया और न ही अपने सीनियर अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। परिणामस्वरूप NDPS Act की धारा 42 के अनिवार्य प्रावधान का उल्लंघन हुआ तथा पूरी वसूली अमान्य हो गई।

दूसरी ओर, राज्य के वकील ने अपीलकर्ताओं के विद्वान वकील द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों का इस आधार पर पुरजोर विरोध किया कि वर्तमान मामले में सबसे पहले, वसूली ऐसे वाहन से हुई, जो पारगमन में था, जो राष्ट्रीय राजमार्ग पर खड़ा था। इसके अलावा, वसूली सार्वजनिक स्थान पर वाहन से हुई थी, जो जनता के लिए सुलभ था। NDPS Act की धारा 43 के प्रावधान लागू होंगे तथा NDPS Act की धारा 42 के प्रावधानों का अनुपालन करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।

प्रस्तुतियां सुनने के बाद हरियाणा राज्य बनाम जरनैल सिंह और अन्य [2004] में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भरोसा करते हुए खंडपीठ इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वर्तमान मामला सार्वजनिक स्थान से प्रतिबंधित पदार्थ की बरामदगी का मामला है और प्रतिबंधित पदार्थ की जब्ती और अभियुक्त की गिरफ्तारी सार्वजनिक स्थान पर की गई। इसलिए NDPS Act की धारा 43 के प्रावधान लागू होंगे।

खंडपीठ ने कहा कि यदि राज्य सरकारी गवाहों को "केवल उनकी आधिकारिक स्थिति के आधार पर" अलग नहीं रख सकता।

न्यायालय ने कहा,

"वर्तमान मामले में भी अपीलकर्ताओं से हेरोइन की भारी मात्रा में बरामदगी हुई, जो अंतरराष्ट्रीय तस्कर हैं और पुलिस अधिकारियों के लिए उन पर इतनी बड़ी मात्रा में हेरोइन की बरामदगी करना असंभव है।"

खंडपीठ ने आगे कहा,

"यह स्पष्ट है कि हेरोइन की बरामदगी एक टवेरा वाहन और अन्य स्थानों से हुई और अपीलकर्ताओं की व्यक्तिगत तलाशी से कोई बरामदगी नहीं हुई।"

इसमें कहा गया,

"NDPS Act की धारा 50 के प्रावधान केवल अभियुक्त की व्यक्तिगत तलाशी के मामलों में ही लागू होंगे। इस संबंध में अपीलकर्ताओं के विद्वान वकील द्वारा उठाए गए तर्क में हमें कोई दम नहीं मिला।"

इस तर्क को खारिज करते हुए कि प्रतिबंधित पदार्थ प्लांट किया गया और सैंपल में छेड़छाड़ की गई, जस्टिस शेखावत ने कहा,

"इसके बजाय एफएसएल रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि पार्सल पर सील अखंड पाई गई और सैंपल की सील छापों से मेल खाती है। एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार भी नमूनों में हेरोइन पाई गई। इस प्रकार अभियोजन पक्ष के साक्ष्य ने निर्णायक रूप से साबित कर दिया कि राज्य विशेष ऑपरेशन सेल, पंजाब, अमृतसर की पुलिस द्वारा अपीलकर्ताओं से 25 किलोग्राम हेरोइन बरामद की गई।"

उपर्युक्त के आलोक में याचिका खारिज कर दी गई।

केस टाइटल: राजिंदर सिंह @ बिट्टू बनाम पंजाब राज्य

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