RTI Act की धारा 19(8)(b) के तहत मुआवजा केवल वास्तविक क्षति या हानि सिद्ध होने पर ही मिलेगा: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने सूचना के विलंबित प्रेषण के कारण मुआवजे की मांग करने वाली याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (RTI Act) की धारा 19(8)(b) के तहत मुआवजा केवल उसी स्थिति में दिया जा सकता है, जब याचिकाकर्ता यह सिद्ध कर सके कि उसे सूचना में हुई देरी के कारण वास्तविक क्षति या हानि हुई है।
जस्टिस राजेश कुमार वर्मा की अध्यक्षता में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा,
"याचिकाकर्ता ने मुआवजे की मांग के लिए अपने द्वारा झेली गई हानि या क्षति का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ता ने दिनांक 16.08.2019 के उस आदेश को भी चुनौती नहीं दी, जिसमें राज्य सूचना आयोग ने बिना मुआवजा दिए अपील का निपटारा कर दिया था।"
यह मामला अमित आनंद द्वारा दायर याचिका से संबंधित था, जिसमें उन्होंने राज्य सूचना आयोग से वही मुआवजा दिलवाने की मांग की थी, जो पायल कुमारी और आठ अन्य को वर्ष 2019 के एक समान निर्णय के तहत मिला था।
मामले के तथ्यों के अनुसार अमित आनंद ने वर्ष 2017 में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से सूचना मांगी थी। सूचना न मिलने पर उन्होंने प्रथम अपील और फिर दूसरी अपील दायर की।
सूचना आयोग ने बाद में संबंधित सूचना अधिकारी को सूचना प्रदान करने का निर्देश दिया। हालांकि, आयोग ने मुआवजे के संदर्भ में याचिकाकर्ता के लिए कोई विशेष आदेश पारित नहीं किया।
याचिकाकर्ता द्वारा यह तर्क दिया गया कि अन्य मामलों में मुआवजा दिया गया लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की सूचना से संबंधित स्थिति भिन्न है। उन्होंने अपने मामले में कोई क्षति या हानि का प्रमाण भी नहीं दिया।
अंततः हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता न तो आयोग के आदेश को चुनौती देने में सफल रहे न ही उन्होंने मुआवजे के लिए कोई पृथक आवेदन किया और न ही कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया।
इस आधार पर याचिका खारिज कर दी गई।
टाइटल: अमित आनंद बनाम बिहार सूचना आयोग एवं अन्य