99% पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए, फुटेज को 18 महीने तक सुरक्षित रखा जाएगा: तमिलनाडु सरकार में मद्रास हाईकोर्ट बताया

Update: 2024-07-02 09:48 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एक जनहित याचिका बंद की। वक्त याचिका में पुलिस स्टेशनों के अंदर सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने उसकी सुरक्षा करने और उसे बनाए रखने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने और संभावित मानवाधिकार उल्लंघन को रोकने के लिए इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग की गई थी।

एक्टिंग चीफ जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस मोहम्मद शफीक की पीठ ने राज्य की इस दलील पर विचार करने के बाद याचिका बंद कर दी कि लगभग 99% पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और फुटेज को 18 महीने की अवधि तक सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाए गए हैं। न्यायालय ने टिप्पणी की कि राज्य के कदम याचिकाकर्ता की शिकायतों का समाधान करेंगे।

न्यायालय ने याचिकाकर्ता को भविष्य में कोई शिकायत होने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता भी दी। न्यायालय वकील के निजामुद्दीन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

अपनी याचिका में निजामुद्दीन ने बताया कि पुलिस स्टेशन के अंदर सीसीटीवी फुटेज की सुरक्षा, संरक्षण और रखरखाव या इसके साथ छेड़छाड़ के खिलाफ कोई वैधानिक ढांचा या मानक संचालन प्रक्रिया नहीं है। उन्होंने बताया कि यह कमी सीसीटीवी कैमरे लगाने के उद्देश्य के विरुद्ध है।

निजामुद्दीन ने कहा कि पुलिस स्टेशन वह जगह है, जहां नागरिक की स्वतंत्रता को गिरफ्तारी या हिरासत में पूछताछ के माध्यम से सीमित किया जाता है, जो कानून के तहत स्वीकृत है।

उन्होंने कहा कि पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी इसलिए लगाए गए हैं, जिससे हिरासत में किसी भी तरह की यातना या पुलिस द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग को रोका जा सके, जिससे अज्ञानी बल द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ, डिजिटल साक्ष्य ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और सीसीटीवी कैमरों की मदद से हमलावर/अपराधी की पहचान आसानी से की जा सकती है।

उन्होंने प्रस्तुत किया कि राज्य सरकार ने पुलिस बल को आधुनिक बनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया है, लेकिन सीसीटीवी फुटेज के रखरखाव के लिए एक मानक प्रक्रिया अभी भी गायब है। सथानकुलम पुलिस की बर्बरता की ओर ध्यान दिलाते हुए निजामुद्दीन ने बताया कि इस तरह के ज़्यादातर मामलों में सीसीटीवी कैमरे महत्वपूर्ण समय पर काम करना बंद कर देते हैं।

निजामुद्दीन ने आगे कहा कि,

सथानकुलम मामले में भी, प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कैमरों से सीसीटीवी फुटेज में हेरफेर किया गया था।

इस प्रकार हिरासत में हिंसा और पुलिस बर्बरता को रोकने के लिए सीसीटीवी फुटेज की सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए निजामुद्दीन ने राहत की मांग की।

केस टाइटल- के निजामुद्दीन बनाम सरकार के मुख्य सचिव और अन्य

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