एमपी हाईकोर्ट का अहम सुझाव: कॉर्पोरेट क्लाइमेट रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड बनाएं

Update: 2025-09-15 11:43 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ग्वालियर में कचरे के ढेर और खराब स्वच्छता की स्थिति को उजागर करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण सुझाव दिया। कोर्ट ने कहा कि सभी संबंधित पक्षों को कॉर्पोरेट क्लाइमेट रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड (CCR Fund) बनाने पर विचार करना चाहिए, जिसका उपयोग विशेष रूप से पर्यावरण, स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए किया जाए।

जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस पुष्पेंद्र यादव की खंडपीठ ने ग्वालियर नगर निगम द्वारा दायर अनुपालन रिपोर्ट, एमिक्स क्यूरी द्वारा दिए गए सुझावों और अधिकारियों के साथ हुई चर्चा के बाद यह बात कही।

कोर्ट ने कहा,

"समय आ गया है कि सभी हितधारक कॉर्पोरेट क्लाइमेट रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड (CCR Fund) बनाने पर विचार करें, जो पर्यावरण, स्वच्छता और सार्वजनिक स्वच्छता से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए समर्पित हो।"

कोर्ट ने सुझाव दिया कि नगर निगम CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) से डोर टू डोर कचरा संग्रह वाहन प्राप्त करने की संभावना तलाश सकता है। यदि नियम अनुमति देते हैं तो एक अलग खाता बनाया जा सकता है, जहां ये सभी दान एकत्र किए जा सकें और उनका उपयोग केवल शहर की स्वच्छता के लिए किया जाए।

इसके अलावा, कोर्ट ने नगर निगम को जागरूकता कार्यक्रम चलाने का भी निर्देश दिया ताकि लोगों को शहर की समस्याओं और उनके समाधान के बारे में बताया जा सके। कोर्ट ने आयुक्त को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सभी अधिकारी अपने कर्तव्य का पालन करें और लापरवाही करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। यह भी निर्देश दिया गया कि अधिकारियों के मोबाइल फोन 24x7 चालू रहने चाहिए ताकि जनता की समस्याओं का समाधान किया जा सके।

कोर्ट ने नगर निगम को ऑटो-रिक्शा, ई-रिक्शा चालकों और अन्य सार्वजनिक-उत्साही नागरिकों को ग्रीन वारियर्स के रूप में नियुक्त करने का सुझाव दिया। उनके अच्छे कार्यों की रिपोर्ट करने पर उन्हें सम्मानित किया जा सकता है।

एमिक्स क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि ग्वालियर के आसपास कई उद्योग हैं और यदि वे CSR के तहत नगर निगम के साथ सहयोग करते हैं तो डोर टू डोर कचरा संग्रह वाहनों की कमी को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि निगम एक खाता बना सकता है, जिसमें उद्योगपति, व्यवसायी और आम जनता दान कर सकें।

मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को निर्धारित की गई।

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