सांभर का मांस खाने का आरोप: आरोपी से बरामद मांस का कोई सीधा संबंध नहीं, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दी जमानत

Update: 2025-10-06 06:20 GMT

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को ज़मानत दी, जिस पर आरोप था कि उसने नागौद के पीडब्ल्यूडी विश्रामगृह में सांभर हिरण का मांस पकाकर खाया।

अदालत ने पाया कि वन विभाग आरोपी और बरामद मांस के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध स्थापित नहीं कर सका, और फॉरेंसिक रिपोर्ट (FSL) अभी लंबित है।

जस्टिस देवनारायण मिश्रा की एकल पीठ ने केस डायरी का अवलोकन करते हुए कहा कि वन अधिकारियों को “गुप्त सूचना” मिली थी कि कुछ लोग विश्रामगृह में सांभर का मांस पका रहे हैं परंतु “इस सूचना के अलावा आज तक वन विभाग आरोपी को बरामद मांस से नहीं जोड़ सका है, क्योंकि FSL रिपोर्ट अब तक प्राप्त नहीं हुई।”

अदालत ने यह भी कहा कि कोई भी ऐसा शरीर का हिस्सा बरामद नहीं हुआ, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि मांस वास्तव में किसी जंगली पशु (सांभर) का था।

आदेश में कहा गया,

“वन अधिकारियों के बयानों में केवल इतना उल्लेख है कि विश्रामगृह में मांस पार्टी चल रही थी परंतु यह स्पष्ट नहीं किया गया कि पकाया गया मांस जंगली पशु सांभर का ही था। यह भी स्पष्ट नहीं है कि सांभर का शिकार कहां और किसने किया।”

आवेदक ने अदालत में कहा कि वह केवल अपने किराएदार को लेने के लिए विश्रामगृह गया और उस पर लगाए गए आरोप झूठे हैं।

राज्य पक्ष ने जमानत का विरोध किया, यह कहते हुए कि आरोपी के खिलाफ पहले से दो मामूली आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं, एक वाहन दुर्घटना से जुड़ा और दूसरा झगड़े का। अभियोजन पक्ष का तर्क था कि आरोपी और अन्य लोग अनुसूची-1 में सूचीबद्ध जंगली पशु के मांस का सेवन कर रहे थे।

हालांकि अदालत ने कहा कि जब तक मांस और आरोपी के बीच कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं जुड़ता तब तक हिरासत जारी रखना उचित नहीं है।

अदालत ने मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी किए बिना आरोपी को जमानत मंजूर कर ली।

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