मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का पर्यावरण-हितैषी निर्देश: याचिका बहाली के लिए 25 पौधे लगाओ
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैक्ट्री मालिक को उसकी याचिका (writ petition) बहाल करने के लिए एक अनूठी शर्त रखी है। न्यायालय ने फैक्ट्री के प्रोप्राइटर को आदेश दिया कि वह अपने परिसर में 25 देशी पौधे/पेड़ लगाए और इसका प्रमाण प्रस्तुत करे।
बता दें, यह याचिका पहले एक अनिवार्य आदेश का पालन न करने यानी याचिका में मौजूद खामियों को दूर न करने के कारण खारिज कर दी गई थी।
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता को पर्याप्त समय दिया गया लेकिन वह खामियों को सुधारने में विफल रहा।
हालांकि कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि चूंकि खामियाँ उसके वकील के कार्यालय द्वारा दूर की जानी थीं, इसलिए केवल तकनीकी आधार पर याचिकाकर्ता को सज़ा नहीं मिलनी चाहिए।
यह देखते हुए कि फैक्ट्री मालिक पत्तियों से बनी प्लेटें और कटोरे बनाने के व्यवसाय में है, जो पर्यावरण से जुड़ा हुआ कार्य है, कोर्ट ने देरी को माफ़ करते हुए यह रचनात्मक शर्त लगाई।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को सबसे पहले फैक्ट्री परिसर में 25 पौधे लगाकर उसका सबूत कोर्ट में जमा करना होगा। साथ ही रजिस्ट्री द्वारा बताई गई सभी खामियों को भी दूर करना होगा।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिका केवल पौधरोपण का प्रमाण प्रस्तुत करने पर ही बहाल की जाएगी।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता को चेतावनी भी दी कि खामियों को दूर करने के लिए उसे आगे कोई अवसर नहीं दिया जाएगा और इन शर्तों के साथ याचिका का निपटारा कर दिया।
यह फैसला दर्शाता है कि न्यायपालिका तकनीकी त्रुटियों को माफ़ करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण जैसे व्यापक सामाजिक लक्ष्यों को भी बढ़ावा दे सकती है।