क्या आप बुद्धिमत्ता को रोकना चाहते हैं: 10 वर्षीय स्टूडेंट के कक्षा 9 में एडमिशन पर CBSE की अपील में एमपी हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगी नीति
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को 10 वर्षीय स्टूडेंट को कक्षा 9 में अस्थायी एडमिशन दिए जाने के खिलाफ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की अपील पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि प्रतिभाशाली बच्चों को लेकर उनकी क्या नीति है।
यह मामला उस समय उठा जब सिंगल बेंच ने एक पिता की याचिका पर आदेश देते हुए CBSE को स्टूडेंट को कक्षा 9 में अस्थायी एडमिशन देने पर विचार करने को कहा था। पिता ने दावा किया कि उनके पुत्र ने कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाई पूरी की। हालांकि, उसे कक्षा 9 में एडमिशन देने से इनकार कर दिया गया। CBSE ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और परीक्षा उपविधियों के अनुसार 10 वर्षीय बच्चे को कक्षा 9 में एडमिशन नहीं दिया जा सकता।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय साराफ की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी में CBSE से पूछा,
“क्या आपने बाल प्रतिभाओं के बारे में नहीं सुना 14 साल की उम्र में MBBS डॉक्टर होते हैं। 10 साल की उम्र में सर्जन होते हैं। क्या आप बुद्धिमत्ता को रोकना चाहते हैं, पूरी दुनिया में असाधारण प्रतिभाएं हैं और आप एक बच्चे को कक्षा 9 में नहीं लेना चाहते।”
अदालत ने कहा कि यदि कोई होनहार स्टूडेंट कक्षा 9 और 10 की पढ़ाई पूरी कर सकता है तो इससे सरकार को क्या समस्या है।
खंडपीठ ने यह भी टिप्पणी की,
“7 साल की उम्र में भारत में कोई सर्जन बना, 12 साल की उम्र में भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर बना, 13 साल की उम्र में किसी ने कंपनी स्थापित की। तो आपकी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।”
CBSE की ओर से दलील दी गई कि NEP विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई और इसमें ठोस कारण हैं। उन्होंने बताया कि 5+3+3+4 के ढांचे के तहत 6 वर्ष की आयु में बच्चे को कक्षा 1 में एडमिशन दिया जाता है, ऐसे में संबंधित स्टूडेंट को कक्षा 9 में एडमिशन पाने के लिए दो वर्ष और प्रतीक्षा करनी होगी।
इस पर अदालत ने असहमति जताते हुए कहा कि अपवाद हमेशा होते हैं।
“हमारे जमाने में भी होनहार बच्चों को डबल प्रमोशन मिलता था। आप अपवादों को मानने के लिए तैयार क्यों नहीं हैं।"
अंततः अदालत ने नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार से पूछा,
“आप बाल प्रतिभाओं को लेकर क्या करना चाहते हैं। एक ओर भारत सरकार उन्हें सम्मान और पुरस्कार देती है और दूसरी ओर यहां उनकी बुद्धिमत्ता को रोकना चाहती है।”
अदालत ने आदेश दिया कि नोटिस जारी कर 6 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई की जाएगी।