मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने NEET-PG काउंसलिंग के पहले चरण की अनुमति दी, सामान्यीकरण प्रक्रिया के मुद्दे पर 28 नवंबर तक परिणाम घोषित करने पर रोक लगाई

Update: 2024-11-25 07:07 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने राज्य को MD/MS पाठ्यक्रमों के लिए NEET-PG काउंसलिंग के पहले चरण की काउंसलिंग करने का आदेश देते हुए निर्देश दिया कि परिणाम 28 नवंबर तक घोषित नहीं किए जाएंगे।

यह निर्देश याचिका पर आया जिसमें याचिकाकर्ताओं ने दूसरी बार की गई सामान्यीकरण प्रक्रिया को न अपनाने पर चिंता जताई, जिसके कारण राज्य की मेरिट सूची में विसंगति आई है। अपनी याचिका में याचिकाकर्ता उम्मीदवारों ने NEET PG काउंसलिंग (MD/MS कोर्स) 2024 के लिए राज्य पंजीकृत अभ्यर्थी राज्य द्वारा एमपी के लिए जारी की गई मेरिट सूची को चुनौती दी।

जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,

"जहां तक राज्य स्तर पर दूसरी सामान्यीकरण प्रक्रिया का सवाल है, सिविल अपील नंबर 228/2022 में उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य बनाम अतुल कुमार द्विवेदी और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर प्रतिवादी नंबर 2 द्वारा इसे अंजाम नहीं दिया जा सकता।”

इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्यीकरण की प्रक्रिया को केवल प्रासंगिक नियमों के तहत परिकल्पित परीक्षा के सभी चरणों के समाप्त होने के बाद ही चयन सूची तैयार करने के लिए लागू किया जा सकता है।

इसके बाद हाईकोर्ट ने कहा,

"इस न्यायालय की प्रथम दृष्टया राय है कि अतुल कुमार द्विवेदी (सुप्रा) के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के आधार पर सामान्यीकरण प्रक्रिया अखिल भारतीय स्तर पर नीट-पीजी-2024 में केवल एक चरण में ही की जा सकती है, न कि राज्य स्तर पर।"

पीठ ने काउंसलिंग के पहले दौर को जारी रखने का निर्देश दिया, लेकिन अगली सुनवाई तक परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी।

राज्य को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिए कहते हुए अदालत ने कहा,

“इस बीच प्रतिवादी नंबर 2 को 24/11/2024 (आधी रात 12:00 बजे) तक काउंसलिंग के पहले दौर को जारी रखने का निर्देश दिया जाता है, लेकिन काउंसलिंग के पहले दौर का परिणाम अगली सुनवाई की तारीख तक घोषित नहीं किया जाएगा।”

अदालत ने याचिकाकर्ता उम्मीदवारों को मामले में राष्ट्रीय मेडिकल विज्ञान परीक्षा बोर्ड को प्रतिवादी के रूप में शामिल करने से रोक दिया और याचिका को 28 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

याचिकाकर्ताओं के वकील आदित्य सांघी ने तर्क दिया कि NEET-PG 2024 के लिए अखिल भारतीय परिणाम जो दो पालियों में आयोजित किया गया था, NBEMS सार्वजनिक नोटिस दिनांक 10/08/2024 के अनुसार अधिसूचित सामान्यीकरण प्रक्रिया का उपयोग करके तैयार किया गया। राज्य यानी प्रतिवादी नंबर 2 दूसरी बार सामान्यीकरण प्रक्रिया को नहीं अपना सकता, जिसके परिणामस्वरूप राज्य की मेरिट सूची में विसंगति हुई।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि दूसरी बार सामान्यीकरण उनकी योग्यता-आधारित रैंकिंग को प्रभावित करता है। यह भी तर्क दिया गया कि परीक्षा के लिए सभी उम्मीदवार सेवारत श्रेणी के उम्मीदवार हैं, जिन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करने के लिए समान 30% अंक मिले हैं।

यह तर्क दिया गया कि पहले दौर के लिए चॉइस फिलिंग और चॉइस लॉकिंग पहले ही शुरू हो चुकी थी।

21 नवंबर को समाप्त होने वाली यह परीक्षा 24 नवंबर (मध्यरात्रि 12:00 बजे) को समाप्त होगी। इसके बाद 26 नवंबर को पहले चरण का आवंटन परिणाम घोषित किया जाएगा।

इसलिए उपरोक्त विसंगति को देखते हुए याचिकाकर्ताओं जैसे उम्मीदवारों को बहुत नुकसान होगा। इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि काउंसलिंग के पहले चरण के परिणाम पर रोक लगाई जाए।

इस बीच राज्य की ओर से बहस कर रहे एडिशनल एडवोकेट जनरल ने तर्क दिया कि अखिल भारतीय स्तर पर तैयार की गई सामान्यीकरण प्रक्रिया का उपयोग करके राज्य-विशिष्ट मेरिट सूची बनाई गई। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली ने राज्य मेरिट सूची तैयार की थी और उसे आगे भेजा था। किसी विशेष राज्य के लिए राज्य-विशिष्ट प्रतिशत और राज्य-विशिष्ट रैंक को दूसरी बार सामान्यीकरण प्रक्रिया का उपयोग करके प्रोत्साहन अंक दिए जाने के बाद नए सिरे से तैयार किया गया था।

इसलिए प्रतिवादी ने दावा किया कि उम्मीदवारों के नए राज्य-विशिष्ट प्रतिशत स्कोर और रैंक की तुलना अखिल भारतीय NEET-PG 2024 प्रतिशत स्कोर और रैंक के साथ नहीं की जा सकती है, जिसमें उनकी अखिल भारतीय अंतर-मेरिट सूची भी शामिल है।

केस टाइटल: डॉ. अभिषेक शुक्ला एवं अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य

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