स्टांप पेपर का क्या यूज है और क्यों होते हैं ज़रूरी?

Update: 2024-09-28 09:47 GMT

किसी भी दस्तावेज के वेलिडेशन के लिए स्टांप पेपर ज़रूरी होते हैं, स्टांप पेपर का यूज दस्तावेजों के लिए ही किया जाता है। स्टांप पेपर एक तरह का कर है जो शासन को किसी भी दस्तावेज के वेलिडेशन के लिए अदा किया जाता है।

स्टांप पेपर का यूज

स्टांप पेपर राजस्व विभाग द्वारा जारी किए जाते हैं। यह स्टांप पेपर एक करेंसी की तरह कार्य करते हैं। हालांकि इन्हें नोट की तरह किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं किया जाता है। इसके वेंडर होते हैं जो लोगों को स्टांप जारी करते हैं और जिस व्यक्ति को स्टांप जारी किया गया है केवल वही व्यक्ति उस काम का उपयोग कर सकता है। इसकी अलग-अलग कीमत होती है छोटे से लेकर बड़े तक सभी स्टांप उपलब्ध होते हैं। एक रुपए के राजस्व टिकट को भी स्टांप ही कहा जाता है उसकी भी हैसियत इसी प्रकार होती है जिस प्रकार एक पचास रुपए के स्टांप की होती है।

स्टांप पेपर को रेगुलेट करने के लिए एक अधिनियम बनाया गया है जिसे भारतीय स्टांप अधिनियम कहा जाता है। यह अधिनियम स्टांप से संबंधित सभी प्रक्रिया को निर्धारित करता है।

जब भी हम किसी भी प्रकार का कोई हस्तांतरण करते हैं उस हस्तांतरण पर हमें राजस्व विभाग को एक राशि अदा करनी होती है। यह राजस्व होता है जिसकी वसूली सरकार हमसे करती है। राजस्व प्राचीन काल से ही चलती आ रही है एक व्यवस्था है जिसमें राजा द्वारा जनता से कुछ राशि वसूली जाती है। जैसे कि जब भी कोई दो व्यक्ति आपस में किसी भी प्रकार का लेनदेन करते हैं तब उसमें सरकार का भी एक हिस्सा होता है उस हिस्से को हम टैक्स बोल सकते हैं। किसी अचल संपत्ति को खरीदते समय या उससे संबंधित कोई भी हस्तांतरण करते हुए हमें सरकार को कोई न कोई धनराशि अदा करनी होती है।

जैसे किसी संपत्ति को जब खरीदा जाता है तब उसकी रजिस्ट्री की आवश्यकता होती है तो ऐसी रजिस्ट्री के लिए एक निर्धारित राशि के स्टांप की आवश्यकता होती है। मान लीजिए कि कोई मकान एक लाख रुपए में किसी व्यक्ति ने खरीदा है यहां पर भारतीय रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के अंतर्गत यह कहा गया है कि अचल संपत्ति सौ रुपये में से अधिक की है उसके रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता है। ऐसी संपत्ति को रजिस्टर्ड करवाना होगा। इसे रजिस्टर्ड करवाने के लिए एक सेल डीड तैयार करनी होगी। रजिस्ट्रीकरण एक्ट के अंतर्गत ही यह भी बताया गया है कि कितने रुपए के स्टांप उस सेल डीड पर लगाना होंगे।

संपत्ति की एक कीमत लगाई जाती है जिसे सरकारी गाइडलाइन कहा जाता है। उसके हिसाब से ही स्टांप भी अदा करने होते हैं। एक प्रतिशत सरकार द्वारा बता दिया गया है जिसमें स्टांप की राशि अदा करनी होती है। एक लाख रुपए अगर 10 प्रतिशत के स्टांप चाहिए इसका मतलब यह है कि अगर किसी व्यक्ति ने एक लाख रुपए की संपत्ति को खरीदा है तब उसे दस हजार रुपये के स्टांप खरीदने होंगे।

किसी भी प्रकार का कोई भी हस्तांतरण हो चाहे विक्रय लेख हो, पट्टा हो, किरायानामा हो, वसीयत हो, पॉवर ऑफ अटॉर्नी हो, कोई शपथ पत्र हो जो किसी विभागीय कार्यालय में दिया जा रहा है, कोई दान पत्र हो, किसी कंपनी से संबंधित उसका संविधान हो, ऐसी कोई भी चीज हो उसमें स्टांप लगाने की आवश्यकता होती है और ऐसा स्टांप अपनी मर्जी के हिसाब से नहीं लगाया जा सकता बल्कि रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के अंतर्गत जितने रुपए के स्टांप लगाने को कहा गया है उतने ही स्टांप लगाना होते हैं, उससे कम स्टांप लगाने पर दस्तावेज को वैध नहीं माना जाता है।

कहां से खरीदें स्टांप

हम स्टांप को किसी भी स्थान या किसी भी व्यक्ति से नहीं खरीद सकते बल्कि स्टांप एक रजिस्टर्ड स्टांप वेंडर से खरीदने चाहिए। ऐसे स्टांप वेंडर को सरकार एक निश्चित समय अवधि के लिए स्टांप बेचने का कार्यभार सौंप डेट है उसे ऐसा स्टांप बेचने के लिए सरकार से कमीशन प्राप्त होता है। उस स्टांप बेचने वाले की यह जिम्मेदारी होती है कि जितने भी लोगों को जिस भी कार्य के लिए उसने जितने भी स्टांप बेचे हैं उन सभी की प्रविष्टियां अपने रजिस्टर में रखेगा और जब भी न्यायालय के समक्ष उन्हें प्रस्तुत करने को कहा जाएगा तब उन रजिस्टर को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करेगा।

एक स्टांप वेंडर बगैर किसी पहचान के स्टांप नहीं बेचता है बल्कि स्टांप खरीदने के लिए अपने पहचान के दस्तावेज प्रस्तुत करना होते हैं। स्टांप वेंडर के रजिस्टर में हस्ताक्षर करना होते हैं और स्टांप क्यों खरीदा जा रहा है इसका कारण भी बताना होता है।

कितने का होता है स्टांप

स्टांप अनेक राशियों के होते हैं। एक रुपए से लेकर एक हज़ार रुपए तक का स्टांप और उससे भी अधिक राशि के स्टांप वेंडर के पास उपलब्ध होते हैं। जितने स्टांप लगाए जाने की आवश्यकता किसी हस्तांतरण में होती है उतने के स्टांप खरीदना होते हैं। यह बात ध्यान देना चाहिए कि जितने रुपए स्टांप पर लिखे हुए हैं स्टांप वेंडर को केवल उतने ही रुपए देना चाहिए।

जैसे कि यदि कोई स्टांप सौ रुपए का है तब स्टांप वेंडर को केवल सौ लेने का ही अधिकार है लेकिन आमतौर पर ऐसा देखने को नहीं मिलता है सौ रुपये के स्टांप 120 या 200 तक स्टांप वेंडर बेच देते हैं जबकि यह तरीका बिल्कुल ठीक नहीं है। सरकार स्टांप वेंडर को स्टांप बेचने के लिए बैठाती है जिस स्टांप को व्यक्ति खरीदता है उसमें वेंडर का कमीशन भी शामिल होता है उसे अलग से कोई राशि नहीं देना पड़ती है।

पुरानी दिनांक का स्टांप

कभी-कभी लोग अपने हस्तांतरण को वैध बनाने के उद्देश्य से पुरानी दिनांक का कोई स्टांप खरीद लेते हैं जबकि यह सीधे-सीधे कूटरचना है। ऐसी कूटरचना के लिए आजीवन कारावास तक दंड हो सकता है। इसलिए कभी भी पुरानी दिनांक का स्टांप नहीं खरीदना चाहिए और किसी भी स्टांप वेंडर को कोई भी पुरानी दिनांक का स्टांप नहीं बेचना चाहिए।

स्टांप केवल वर्तमान दिनांक का ही बेचा जा सकता है न अगली दिनांक का बेचा जा सकता है और न ही पिछली दिनांक का बेचा जा सकता है। जिस दिन व्यक्ति स्टांप खरीदने आया है स्टांप पर केवल उसी दिन की एंट्री की जाएगी कोई भी अगली या पिछली दिनांक की इंट्री कतई नहीं की जाती है।

नकली स्टांप बनाने के लिए दंड

सरकार द्वारा बनाए जाने वाले स्टांप के कोई भी नकल बनाना एक प्रकार से किसी नोट की नकल बनाने जैसा ही है। इसके लिए भारतीय न्याय संहिता में प्रावधान किए गए हैं। जहां नकली स्टांप बनाने पर दंड का उल्लेख किया गया है, यह संगीन जुर्म है जहां व्यक्ति आजीवन कारावास तक दंडित हो सकता है।

गैर न्यायिक स्टांप

हम देखते हैं कि अधिकांश स्थान पर गैर न्यायिक स्टांप लिखा होता है। बहुत बार यह प्रश्न उठता है कि यह गैर न्यायिक स्टांप क्या होते हैं तो यहां बताया जा रहा है कि स्टांप के दो प्रकार होते हैं। एक न्यायिक स्टांप और एक गैर न्यायिक स्टांप। किसी भी सिविल मुकदमे को न्यायालय में लेकर जाने पर उसमें एक कोर्ट फीस अदा करनी होती है। ऐसी कोर्ट फीस कोर्ट फीस अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित किए गए प्रतिशत के अनुसार अदा करनी होती है। उस कोर्ट फीस में लगने वाले स्टांप को न्यायिक स्टांप कहा जाता है। इसलिए एक ऐसा स्टांप भी होता है जिस पर विशेष रूप से यह टीप डालनी होती है कि यह गैर न्यायिक स्टांप है अर्थात इस स्टांप को किसी भी कोर्ट फीस के मामले में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

इस स्टांप को तो कोई कोई हस्तांतरण के उद्देश्य से बनाए गए लेख में इस्तेमाल किया जा सकता है या फिर किसी शपथ पत्र में इस्तेमाल किया जा सकता है। पर किसी न्यायालय में इसे कोर्ट फीस के रूप में नहीं दिया जा सकता। आमतौर पर लोगों को एक गैर न्यायिक स्टांप की ही आवश्यकता होती है क्योंकि कोर्ट फीस इत्यादि भरने का कार्य तो वकीलगण करते हैं।

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