
NI Act Cheque, Promissory Note और Exchange Bill तीनों मामलो में लागू होता है और इन तीनों में समानता होते हुए भी अंतर है।
चेक एवं Exchange Bill में अन्तर
प्रकृतित: चेक एवं Exchange Billसमान होते हैं, क्योंकि एक चैक Exchange Billहोता है, यद्यपि कि इन दोनों में मौलिक अन्तर होता है जिसे निम्नलिखित शीर्षकों में स्पष्ट किया जा सकता है-
ऊपरवाल के सम्बन्ध में एक चेक सदैव किसी बैंक पर लिखा जाता है, जबकि एक Exchange Billबैंक को सम्मिलित करते हुए किसी भी व्यक्ति पर लिखा जा सकता है।
माँग पर देय- एक चेक सदैव माँग पर देय होता है, जबकि एक विनिमयपत्र माँग एवं इसके अन्यथा अर्थात् एक निश्चित अवधि के पश्चात् भी देय बनाया जा सकता है।
वाहक की माँग पर एक चेक वाहक की माँग पर देय जारी किया जा सकता है, जबकि एक Exchange Billवाहक को माँग पर देय नहीं बनाया जा सकता है। वाहक को माँग पर देय विनिमयपत्र रिजर्व बैंक एवं सरकार द्वारा जारी किया जा सकेगा।
प्रतिग्रहण - Exchange Billमें संदाय के पूर्व प्रतिग्रहण अपेक्षित होता है, जबकि चेक पर भुगतान के पूर्व बैंक की स्वीकृति अपेक्षित नहीं होती है।
निधि पर लिखा जाना- एक चेक सदैव ग्राहक (लेखीवाल) के खाते में उपलब्ध निधि पर लिखा जाता है, परन्तु एक Exchange Billमें ऐसी निधि आवश्यक नहीं होती है।
परिपक्वता - एक चेक लिखने की तिथि से ही भुगतान के लिए परिपक्व हो जाता है, जबकि Exchange Billएवं Promissory Noteपरिपक्वता नियम से ही भुगतान के लिये परिपक्व होते है।
अनुग्रह दिवस- एक Exchange Billपर ऊपरवाल को प्रतिग्रहण के लिए 3 दिन का समय देना अपेक्षित है, जबकि चेक में ऐसा नहीं है।
रेखांकन- चेक का रेखांकन होता है, परन्तु बैंक ड्राफ्ट को छोड़कर Exchange Billके रेखांकन का प्रावधान नहीं है।
स्टैम्पिंग – Exchange Billका स्टाम्पित होना आवश्यक है, जबकि बैंक का नहीं। टिप्पण एवं प्रसाक्ष्य- चेकों का टिप्पण एवं प्रसाक्ष्य नहीं होता, जबकि Exchange Billका अनादर के पश्चात् इसका टिप्पण एवं प्रसाक्ष्य किया जाना चाहिए।
संदाय का प्रत्यादिष्ट करना- एक चेक को जारी करने के पश्चात् उसके संदाय को प्रत्यादिष्ट (रोका) किया जा सकेगा, जबकि Exchange Billका प्रतिग्रहण के पश्चात् संदाय को प्रत्यादिष्ट नहीं किया जा सकेगा।
वाहक को माँग पर देय बनाना- एक चेक वाहक को माँग पर देय बनाया जा सकता है, परन्तु Exchange Billको वाहक की माँग पर देय नहीं बनाया जा सकता है।
सांविधिक संरक्षण-घेक की दशा में इसके भुगतान एवं वसूली के सम्बन्ध में बैंकों को संरक्षण दिया गया है, जबकि ऐसा संरक्षण Exchange Billकी दशा में नहीं है।
संवर्गों में जारी करना - Exchange Billसंवर्गों में (sets) में जारी किया जा सकता है, परन्तु चेक नहीं।
टंकित प्रारूप- चेक सदैव टंकित प्रारूप में होता है, जबकि Exchange Billका टंकित होना आवश्यक नहीं है। यह हस्तलिखित भी हो सकता है।
संविदात्मक सम्बन्ध- चेक की दशा में बैंक एवं आदाता के बीच संविदात्मक सम्बन्ध नहीं होता है, परन्तु आदाता एवं ऊपरवाल के बीच संविदात्मक सम्बन्ध होता है।
दाण्डिक अपराध- चेक का अनादर दाण्डिक अपराध होता है (धारा 138) पर Exchange Billका अनादर दाण्डिक अपराध नहीं होता है।
लेखीवाल की मृत्यु- चेक के लेखक की मृत्यु या विकृत मस्तिष्क होने पर बैंक चेक के भुगतान को रोक देगा। जबकि Exchange Billकी दशा में लेखक के उत्तराधिकारी भुगतान के लिए आबद्ध होते हैं।
संक्षेपित चेक चेक की दशा में संक्षेपित या कम्प्यूटराइज्ड चेक का प्रावधान है, परन्तु Exchange Billमें ऐसा नहीं है।
डिजिटल हस्ताक्षर- चेक की दशा में डिजिटल हस्ताक्षर होता है, जबकि Exchange Billमें नहीं।
वैधता अवधि- एक चेक जारी करने की तिथि से 3 माह तक विधिमान्य होता है। जबकि Exchange Billमें ऐसी कोई विधिमान्यता की अवधि नहीं होती है।
निरन्तर उपस्थापना चेक को भुगतान के लिए उसके अनादर के पश्चात् निरंतर उपस्थापित किया जा सकता है। जबकि Exchange Billको केवल एक ही बार भुगतान के लिए उपस्थापित किया जा सकता है।
पुनः वैध बनाना- एक चेक को लेखीवाल पुनः वैध बना सकता है, परन्तु Exchange Billको नहीं।
उत्तरवर्ती चेक- चेक को उत्तरवर्ती जारी किया जा सकता है, परन्तु Exchange Billउत्तरवर्ती जारी नहीं किया जा सकता है।
चेक एवं Promissory Note में अन्तर-
चेक एवं Promissory Note दोनों परक्राम्य लिखत होते हैं। अधिनियम की धारा इन दोनों को क्रमशः परिभाषित किया गया है। इन दोनों में निम्नलिखित अन्तर है-
किसके द्वारा लिखना- चेक को एक ग्राहक अपने बैंक पर लिखता है, जबकि Promissory Noteऋणी द्वारा लेनदार के लिए लिखा जाता है।
पक्षकार चेक की दशा में लेखीवाल, ऊपरवाल एवं आदाता तीन पक्षकार होते हैं, जबकि Promissory Noteमें, लेखक एवं आदाता दो ही पक्षकार होते हैं।
प्रकृति- चेक में भुगतान करने का आदेश होता है, जबकि Promissory Noteमें भुगतान करने का वचन होता है।
निश्चित प्रारूप- प्रत्येक बैंकों का विहित टंकित चेक होता है और अब तो सभी बैंकों के लिए CTB-2010 के अनुसार एक समान चेक होगा परन्तु नोट के लिए कोई विहित प्रारूप नहीं है।
परिपक्वता अधिनियम के अधीन धारा 22 से 25 तक के परिपक्वता सम्बन्धी प्रावधान Promissory Noteपर लागू होते हैं, जबकि चेक पर नहीं।
माँग पर देय- एक चेक सदैव माँग देय होता है और वाहक को माँग पर देय हो सकता है, परन्तु Promissory Noteवाहक को माँग पर देय नहीं बनाया जा सकता है।
टिप्पण एवं प्रसाक्ष्य – टिप्पण एवं प्रसाक्ष्य की सूचना चेक पर लागू नहीं होते, क्योंकि चेक के अनादर की टिप्पण एवं प्रसाक्ष्य अपेक्षित नहीं है जबकि Promissory Noteका टिप्पण एवं प्रसाक्ष्य अनादर की दशा में अपेक्षित है।
मृत्यु की दशा में संदाय चेक की दशा में बैंक लेखक की मृत्यु या विकृति की दशा की जानकारी होने पर संदाय रोक देता है, परन्तु Promissory Noteकी दशा में मृतक के उत्तराधिकार भुगतान के लिए आबद्ध होते हैं।
रेखांकन चेक का रेखांकन अनुज्ञेय है, जबकि Promissory Noteका नहीं।
स्टॅम्पिंग चेक को स्टाम्पित होना अपेक्षित नहीं है, जबकि Promissory Noteका स्टाम्पित होना आवश्यक होता है।
दाण्डिक अपराध- चेक का अनादर दाण्डिक अपराध बनाया गया है, जबकि Promissory Noteका अनादर दाण्डिक अपराध नहीं होता।
सांविधिक संरक्षण- चेकों के संदाय के सम्बन्ध में बैंकों को सांविधिक संरक्षण प्रदान किया गया है, जबकि Promissory Noteके सम्बन्ध में ऐसा कोई नहीं।
डिस्काउंटिंग Promissory Note को डिस्काउण्ट पर ऋण लिया जा सकता है, परन्तु चेक पर ऋण नहीं लिया जा सकता है।
विधिमान्यता अवधि - एक चेक की विधिमान्यता अवधि लिखे जाने की तिथि से 3 माह तक होती है। जबकि Promissory Noteमें ऐसा नहीं है। Promissory Noteके सम्बन्ध में समय-सीमा अवधि 3 वर्ष की होती है।