टकसाल, नोट प्रिंटिंग प्रेस और फॉरेंसिक विभागों के अधिकारियों की रिपोर्ट के प्रमाण के रूप में उपयोग : धारा 328 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

Update: 2025-01-04 04:56 GMT

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita), 2023, में प्रमाण (Evidence) की स्वीकार्यता के लिए विस्तृत प्रावधान शामिल हैं। धारा 328 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो सरकारी संस्थानों और अधिकारियों की लिखित रिपोर्टों को प्रमाण के रूप में उपयोग करने की अनुमति देता है।

यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाता है, क्योंकि इससे मौखिक गवाही (Oral Testimony) पर निर्भरता कम हो जाती है।

यह लेख धारा 328 की पूरी व्याख्या करता है, इसके उद्देश्य और अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के साथ इसके संबंधों को उजागर करता है।

धारा 328 के प्रमुख प्रावधान (Key Provisions)

उपधारा (1): प्रमाण के रूप में रिपोर्ट का उपयोग

धारा 328(1) के अनुसार, सरकार द्वारा नामित (Notified) संस्थानों के विशिष्ट गजटेड अधिकारियों (Gazetted Officers) की रिपोर्ट को न्यायिक प्रक्रिया में प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।

• शामिल संस्थान (Institutions Covered): इसमें टकसाल, नोट प्रिंटिंग प्रेस, सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस, फॉरेंसिक विभाग और अन्य सरकारी संगठन शामिल हैं।

• रिपोर्ट का उद्देश्य (Purpose of the Report): ये रिपोर्टें उस वस्तु या विषय से संबंधित होती हैं, जिन्हें परीक्षण (Examination) के लिए प्रस्तुत किया गया है।

• व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट (Exemption from Personal Appearance): रिपोर्ट तैयार करने वाले अधिकारी को न्यायालय में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है।

उदाहरण (Illustration)

यदि नकली मुद्रा (Counterfeit Currency) के मामले में टकसाल के अधिकारी की रिपोर्ट पुष्टि करती है कि जब्त की गई मुद्रा असली है, तो यह रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जा सकती है, भले ही अधिकारी गवाही देने के लिए उपस्थित न हों।

उपधारा (2): अधिकारियों को समन करने का न्यायालय का विवेक (Discretion to Summon Officers)

हालांकि अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य नहीं है, लेकिन धारा 328(2) के तहत न्यायालय को उन्हें समन (Summon) करने का अधिकार है।

• परीक्षा का क्षेत्र (Scope of Examination): अधिकारी से रिपोर्ट के विषय पर प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

• रिकॉर्ड प्रस्तुत करने पर प्रतिबंध (Restriction on Producing Records): समन किए जाने पर भी, अधिकारी को आधिकारिक रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

उदाहरण (Illustration)

नकली मुद्रा के मामले में यदि बचाव पक्ष (Defense) रिपोर्ट की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाता है, तो न्यायालय अधिकारी को समन कर सकता है। हालांकि, अधिकारी से परीक्षण के आंतरिक रिकॉर्ड प्रस्तुत करने की मांग नहीं की जा सकती।

उपधारा (3): आधिकारिक रिकॉर्ड और परीक्षण विधियों की सुरक्षा (Protection of Official Records and Testing Methods)

यह उपधारा गोपनीयता (Confidentiality) सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रावधान जोड़ती है।

• अनुमति की आवश्यकता (Permission Requirement): बिना प्रबंधक (Manager) या संबंधित संस्था के अधिकारी की अनुमति के, अधिकारी गोपनीय रिकॉर्ड या परीक्षण के तरीके उजागर नहीं कर सकते।

• गोपनीयता की रक्षा (Preservation of Confidentiality): यह प्रावधान संवेदनशील जानकारी और विशिष्ट परीक्षण विधियों को सार्वजनिक रूप से उजागर होने से बचाता है।

उदाहरण (Illustration)

जाली दस्तावेज़ (Forged Document) के मामले में, फॉरेंसिक विभाग का अधिकारी परीक्षण के लिए विशेष सॉफ़्टवेयर का उपयोग करता है। बचाव पक्ष अधिकारी से परीक्षण विधियों के बारे में विवरण मांगता है, लेकिन इसे उपधारा (3) के तहत अस्वीकार कर दिया जाता है।

अन्य प्रावधानों के साथ संबंध (Interconnection with Other Provisions)

धारा 319–327

धारा 328, पहले की धाराओं, विशेष रूप से धारा 319 से 327 के साथ जुड़ी हुई है। जहां धारा 319-327 कार्यकारी मजिस्ट्रेटों (Executive Magistrates) और मेडिकल गवाहों (Medical Witnesses) की रिपोर्टों की स्वीकार्यता पर केंद्रित हैं, वहीं धारा 328 तकनीकी (Technical) रिपोर्टों को प्रमाण के रूप में मान्यता देती है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bharatiya Sakshya Adhiniyam), 2023 की धारा 129 और 130

धारा 328(3) का संदर्भ भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धाराओं 129 और 130 से है, जो गोपनीय दस्तावेजों और जानकारी की स्वीकार्यता को नियंत्रित करती हैं। ये प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और गोपनीयता के बीच संतुलन सुनिश्चित करते हैं।

धारा 328 का व्यावहारिक महत्व (Practical Importance)

न्यायिक प्रक्रिया में प्रभावशीलता (Efficiency in Judicial Proceedings)

धारा 328 लिखित रिपोर्टों को प्रमाण के रूप में मान्यता देकर प्रक्रिया को तेज बनाती है।

उदाहरण (Example)

यदि नकली मुद्रा के मामले में सैकड़ों वस्तुओं की जांच की जाती है, तो हर विशेषज्ञ को अदालत में बुलाने की आवश्यकता से बचा जा सकता है।

विशेषज्ञ प्रमाण की विश्वसनीयता (Reliability of Expert Evidence)

टकसाल, नोट प्रिंटिंग प्रेस और फॉरेंसिक विभागों के अधिकारियों की रिपोर्ट उच्च विश्वसनीयता प्रदान करती हैं।

गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा (Confidentiality and National Security)

गोपनीय रिकॉर्ड और परीक्षण विधियों तक पहुंच को सीमित करके, यह प्रावधान राष्ट्रीय सुरक्षा और संवेदनशील जानकारी की रक्षा करता है।

चुनौतियां और सुरक्षा उपाय (Challenges and Safeguards)

चुनौतियां (Challenges)

• रिपोर्ट पर निर्भरता (Reliance on Reports): लिखित रिपोर्ट पर अत्यधिक निर्भरता से बचाव पक्ष की गवाहों से पूछताछ की क्षमता सीमित हो सकती है।

• सीमित खुलासा (Limited Disclosure): परीक्षण विधियों तक सीमित पहुंच को पारदर्शिता की कमी के रूप में देखा जा सकता है।

सुरक्षा उपाय (Safeguards)

• न्यायालय का विवेक (Judicial Discretion): न्यायालय अधिकारियों को बुलाने का अधिकार रखता है।

• अनुमति तंत्र (Permission Mechanism): गोपनीयता की रक्षा करते हुए अपवादों में सीमित खुलासा संभव बनाता है।

मामले अध्ययन (Case Studies)

मामला 1: नकली मुद्रा जांच (Counterfeit Currency Investigation)

एक मामले में, टकसाल का अधिकारी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है जो पुष्टि करता है कि जब्त की गई मुद्रा असली है।

• बचाव पक्ष जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।

• न्यायालय अधिकारी को समन करता है लेकिन आंतरिक रिकॉर्ड का खुलासा करने की अनुमति नहीं देता।

मामला 2: जाली दस्तावेज़ का विश्लेषण (Forged Document Analysis)

फॉरेंसिक विभाग के अधिकारी द्वारा जाली दस्तावेज़ की जांच की जाती है।

• रिपोर्ट धारा 328(1) के तहत प्रमाण के रूप में प्रस्तुत की जाती है।

• बचाव पक्ष परीक्षण विधियों की जानकारी मांगता है, जिसे उपधारा (3) के तहत अस्वीकार कर दिया जाता है।

धारा 328 भारतीय न्याय प्रणाली में तकनीकी प्रमाणों की उपयोगिता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देती है। यह प्रावधान समयबद्ध न्याय सुनिश्चित करते हुए गोपनीयता की सुरक्षा करता है। अन्य प्रावधानों के साथ इसका तालमेल न्यायिक प्रक्रिया को आधुनिक और प्रभावी बनाता है।

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