भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 7-8: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की स्थापना और संरचना

Update: 2025-07-31 15:49 GMT

हमने भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम (Competition Act) के उन महत्वपूर्ण प्रावधानों को देखा है जो Competition (प्रतिस्पर्धा) को नुकसान पहुँचाने वाले व्यवहारों पर रोक लगाते हैं, जैसे Competition-विरोधी समझौते और प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग, और बड़े मर्जर (mergers) व अधिग्रहणों (acquisitions) को नियंत्रित करते हैं। लेकिन इन नियमों को लागू कौन करता है?

इन सभी Competition संबंधी मामलों को देखने और उन पर निर्णय लेने के लिए, हमें एक विशेष संस्था की आवश्यकता है। भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम का अध्याय III (Chapter III) इसी संस्था के बारे में बात करता है, जिसे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India - CCI) कहा जाता है। यह अध्याय CCI की स्थापना और इसकी संरचना (composition) के बारे में बताता है।

धारा 7: आयोग की स्थापना (Establishment of the Commission)

धारा 7(1) कहती है कि केंद्र सरकार द्वारा एक अधिसूचना के माध्यम से एक निश्चित तारीख से, इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए, "भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग" नामक एक आयोग की स्थापना की जाएगी। इसका मतलब है कि CCI एक ऐसा सरकारी निकाय है जिसे Competition Act के नियमों को लागू करने के लिए बनाया गया है।

धारा 7(2) CCI की कानूनी पहचान (legal identity) को परिभाषित करती है। यह बताती है कि CCI एक बॉडी कॉर्पोरेट (body corporate) होगा। इसका मतलब है कि यह एक स्वतंत्र कानूनी इकाई है, जिसका अपना नाम होगा (भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग)। इसके पास अनंत उत्तराधिकार (perpetual succession) होगा, यानी इसके सदस्य बदल सकते हैं लेकिन आयोग अपने आप में जारी रहेगा।

इसके पास एक कॉमन सील (common seal) भी होगी, जो इसके आधिकारिक दस्तावेजों पर मुहर लगाने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। CCI को संपत्ति खरीदने, रखने और बेचने (चल और अचल दोनों) की शक्ति भी होगी, और यह अपने नाम से मुकदमा कर सकता है या उस पर मुकदमा किया जा सकता है। यह CCI को एक मजबूत और स्वायत्त संस्था बनाता है जो अपने नाम से कानूनी कार्यवाही कर सकती है।

धारा 7(3) में कहा गया है कि आयोग का मुख्यालय (head office) उस स्थान पर होगा जो सरकार समय-समय पर तय करेगी। वर्तमान में, CCI का मुख्यालय नई दिल्ली (New Delhi) में है।

धारा 7(4) CCI को भारत के अन्य स्थानों पर कार्यालय स्थापित करने की अनुमति देती है। यह CCI को देश भर में अपनी पहुंच बनाने और Competition से संबंधित मामलों को अधिक कुशलता से संभालने में मदद करता है।

धारा 8: आयोग की संरचना (Composition of the Commission)

धारा 8(1) आयोग के सदस्यों के बारे में बताती है। इसमें कहा गया है कि CCI में एक अध्यक्ष (Chairperson) होगा और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त कम से कम दो (not less than two) और अधिकतम छह (not more than six) अन्य सदस्य होंगे। इसका मतलब है कि आयोग में कम से कम तीन सदस्य (एक अध्यक्ष और दो सदस्य) और अधिकतम सात सदस्य (एक अध्यक्ष और छह सदस्य) हो सकते हैं।

धारा 8(2) अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की योग्यताओं (qualifications) पर जोर देती है। इसमें कहा गया है कि अध्यक्ष और प्रत्येक अन्य सदस्य योग्यता, ईमानदारी और प्रतिष्ठा (ability, integrity and standing) वाले व्यक्ति होने चाहिए। इसके अलावा, उनके पास कुछ विशेष क्षेत्रों में कम से कम पंद्रह वर्षों का पेशेवर अनुभव (professional experience of not less than fifteen years) और विशेष ज्ञान होना चाहिए।

इन क्षेत्रों में शामिल हैं:

• अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade)

• अर्थशास्त्र (Economics)

• व्यवसाय (Business)

• वाणिज्य (Commerce)

• कानून (Law)

• वित्त (Finance)

• लेखा (Accountancy)

• प्रबंधन (Management)

• उद्योग (Industry)

• सार्वजनिक मामले (Public Affairs)

• Competition संबंधी मामले (Competition Matters), जिसमें Competition कानून और नीति शामिल है।

केंद्र सरकार की राय में, यह अनुभव CCI के लिए उपयोगी होना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि आयोग में ऐसे विशेषज्ञ हों जो जटिल आर्थिक और कानूनी मामलों को समझ सकें और Competition से संबंधित निर्णय लेते समय व्यापक दृष्टिकोण अपना सकें।

धारा 8(3) यह स्पष्ट करती है कि अध्यक्ष और अन्य सदस्य पूर्णकालिक सदस्य (whole-time Members) होंगे। इसका मतलब है कि वे CCI के काम के लिए समर्पित होंगे और कहीं और पूर्णकालिक नौकरी नहीं कर सकते। यह सुनिश्चित करता है कि आयोग के सदस्य अपने कर्तव्यों को पूरी तरह से निभा सकें और CCI के कामकाज में कोई Conflict of Interest (हितों का टकराव) न हो।

CCI की भूमिका और महत्व (Role and Importance of CCI)

CCI सिर्फ एक कानूनी निकाय नहीं है; यह भारतीय बाजार का एक महत्वपूर्ण संरक्षक (guardian) है। इसकी स्थापना और संरचना इसे एक प्रभावी नियामक (effective regulator) के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाती है:

• स्वतंत्रता (Independence): एक बॉडी कॉर्पोरेट के रूप में, CCI सरकार के कार्यकारी हस्तक्षेप से कुछ हद तक स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकता है, जिससे यह निष्पक्ष निर्णय ले पाता है।

• विशेषज्ञता (Expertise): धारा 8 में निर्धारित सदस्यों की योग्यताएं सुनिश्चित करती हैं कि आयोग में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ हों, जो Competition के जटिल मामलों को व्यापक दृष्टिकोण से समझ सकें। यह बहु-विषयक (multi-disciplinary) दृष्टिकोण CCI को सूचित और प्रभावी निर्णय लेने में मदद करता है।

• पहुंच (Reach): मुख्यालय और अन्य स्थानों पर कार्यालय स्थापित करने की क्षमता CCI को देश के विभिन्न हिस्सों से Competition संबंधी मुद्दों को संबोधित करने में सक्षम बनाती है।

CCI का उद्देश्य बाजार में ऐसी स्थिति को रोकना है जहां Competition कम हो जाती है, चाहे वह कंपनियों के बीच गुप्त समझौतों के माध्यम से हो या एक बड़ी कंपनी द्वारा अपनी शक्ति के दुरुपयोग से हो। CCI यह सुनिश्चित करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करता है कि उन्हें उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण उत्पादों और सेवाओं तक पहुंच मिले। यह नए प्रवेशकों और छोटे व्यवसायों के लिए एक स्तर का खेल का मैदान भी प्रदान करता है, जिससे Innovation (नवाचार) और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।

संक्षेप में, भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम का अध्याय III भारतीय Competition कानून को लागू करने के लिए आवश्यक संस्थागत नींव रखता है, जिससे CCI भारतीय अर्थव्यवस्था में निष्पक्षता और दक्षता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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