सड़क दुर्घटना मुआवज़ा कानून – कब और कैसे क्लेम करें?

Update: 2025-08-24 08:15 GMT

भारत में हर साल लाखों लोग सड़क हादसों का शिकार होते हैं। ऐसे मामलों में पीड़ित या उसके परिवार को इलाज, नुकसान या मृत्यु की स्थिति में मुआवज़ा (Compensation) पाने का अधिकार होता है। यह अधिकार मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (Motor Vehicles Act, 1988) के तहत दिया गया है।


कब मिल सकता है मुआवज़ा?


1. दुर्घटना में चोट लगने पर – इलाज, दवाइयों, आय का नुकसान आदि का खर्च।

2. दुर्घटना से मृत्यु होने पर – मृतक के आश्रित (परिवारजन) मुआवज़ा पाने के हकदार हैं।

3. स्थायी अपंगता (Permanent Disability) – अगर हादसे में व्यक्ति काम करने की क्षमता खो देता है।

4. संपत्ति को नुकसान – वाहन या अन्य सामान को नुकसान होने पर।



 मुआवज़ा कौन क्लेम कर सकता है?


●दुर्घटना में घायल व्यक्ति।

●मृतक के आश्रित (पति/पत्नी, बच्चे, माता-पिता)।

●वाहन/संपत्ति के मालिक (अगर नुकसान हुआ है)।

●कानूनी प्रतिनिधि (Legal Representative)।



मुआवज़ा कैसे क्लेम करें?


1. पुलिस को सूचित करें

•तुरंत दुर्घटना की FIR दर्ज कराएं।

•मेडिकल रिपोर्ट और सभी कागज़ात सुरक्षित रखें।



2. मोटर वाहन दावा न्यायाधिकरण (Motor Accident Claims Tribunal – MACT) में दावा


•हर जिले में MACT कोर्ट होती है।

•यही कोर्ट मुआवज़ा तय करती है।


3. दावा दायर करने की प्रक्रिया

•MACT में आवेदन करें।

•दुर्घटना से जुड़े दस्तावेज़ जमा करें (FIR, मेडिकल बिल, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, आय प्रमाण पत्र आदि)।

•आवेदन दुर्घटना की जगह, बीमाकर्ता (Insurance Company) या दुर्घटना पीड़ित के निवास स्थान वाली MACT में किया जा सकता है।


4. बीमा कंपनी की जिम्मेदारी

•अगर गाड़ी बीमित है, तो बीमा कंपनी मुआवज़ा चुकाने के लिए जिम्मेदार होती है।

•अगर गाड़ी अनबीमित है, तब भी पीड़ित "Hit and Run" केस में सरकार से तय मुआवज़ा पा सकता है।


 कितना मुआवज़ा मिल सकता है?

•मुआवज़ा केस के हिसाब से तय होता है। इसमें ध्यान दिया जाता है:

•पीड़ित की आय और उम्र

•इलाज का खर्च

•भविष्य की आय का नुकसान

•परिवार पर आर्थिक असर

•मानसिक कष्ट और दर्द


 सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने कई मामलों में मुआवज़ा तय करने के लिए मानक (Formula) बनाए हैं, ताकि न्याय मिल सके।

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