बलात्कार के अपराध के संबंध में दंड के उपबंध (भाग-2)

Update: 2020-03-03 04:45 GMT

बलात्कार के अपराध के संबंध में पूर्व के आलेख में बलात्कार के अपराध की परिभाषा प्रस्तुत की गई थी। इस आलेख में बलात्कार के संबंध में भारतीय दंड संहिता में दंड के उपबंध पर चर्चा की जा रही है।

बलात्कार भारतीय दंड संहिता का ऐसा अपराध है जिस पर अत्यंत विस्तृत उपबंध दंड संहिता के अंतर्गत किए गए हैं, जितनी विस्तृत इस अपराध की परिभाषा को रखा गया है, उतना ही विस्तृत अपराध के अधीन दंड दिए जाने का उपबंध किया गया है।

यह ऐसा विशेष अपराध है, जिस अपराध के घटित होने पर दंड भी अलग अलग प्रकार से अलग-अलग पद एवं परिस्थितियों के अनुरूप दिया जाता है।

दंड की अवधि अपराध की जघन्यता या विरलतम से विरल अपराध को देखते हुए तय की गई है तथा संपूर्ण समाज के भीतर जितनी भी भांति से जितने भी लोगों द्वारा बलात्कार के अपराध को कारित किया जाता है, उस परिस्थिति से निपटने के लिए संपूर्ण उपबंध इस दंड संहिता के अंतर्गत किए गए हैं।

भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के अंतर्गत बलात्कार के अपराध के लिए दंड रखा गया है। धारा 376, 376ए, 376बी, 376सी एवं 376डी, 376ई इन सभी धाराओं के अधीन बलात्कार के अपराध के लिए दंड की व्यवस्था रखी गई है।

धारा 376

धारा 376 में दो उपधाराएं दी गई हैं। पहली उपधारा के अंदर साधारण मामलों में बलात्कार के लिए दंड की अवधि बताई गई है। यदि कोई व्यक्ति साधारण मामलों में बलात्कार के अपराध का सिद्धदोष है तो वह कम से कम 7 वर्ष तक की अवधि का कारावास या फिर अधिकतम आजीवन कारावास तक दिया जा सकता है। दंड के मामले में दंड और जुर्माना दोनों दिया जा सकता है।

स्टेट ऑफ मध्यप्रदेश बनाम महेश भूमिया ए आई आर 2006 एस सी 763 के मामले में यह कहा गया है कि यदि किसी मामले में न्यूनतम से कम दंड दिया जाता है तो प्रथमदृष्टया यह विधि के विपरीत होगा। यदि इसके विशेष या पर्याप्त कारण नहीं बताए जाते हैं तो ऐसा दंडादेश अवैध माना जाएगा।

स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम राजू के मामले में अट्ठारह वर्षीय बालक द्वारा एक 10 वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार किया गया था। बालक की आयु के कारण उसे न्यूनतम से कम सजा से दंडित किया गया था। उच्चतम न्यायालय ने इसे अनुचित माना।

साधारण बलात्कार के मामले में दोषसिद्धि पर न्यूनतम 7 वर्ष का कारावास तो किसी भी परिस्थिति में दिया ही जाएगा। अधिक से अधिक यह आजीवन कारावास तक हो सकता है।

बलात्कार के विशेष मामले

धारा 376 की उपधारा दो में बलात्कार के विशेष मामले दिए गए हैं। यदि बलात्कार का अपराध इन विशेष परिस्थितियों में कार्य किया जाता है तो उपधारा 2 के अधीन मुकदमा दर्ज किया जाता है। वे विशेष परिस्थितियां निम्न हैं-

पुलिस अधिकारी द्वारा बलात्कार

लोक सेवक द्वारा बलात्कार

सशस्त्र बलों के किसी सदस्य द्वारा बलात्कार

जेल,सुधार गृह,विधवा गृह,या फिर कोई इस तरह की अन्य संस्था इत्यादि में कर्मचारी रहते हुए बलात्कार

अस्पताल के प्रबंधकर्ता कर्मचारी होते हुए बलात्कार

रिश्तेदार संरक्षक या शिक्षक या फिर कोई ऐसा व्यक्ति जो उस महिला के प्रति न्यास की हैसियत रखता है उसके द्वारा बलात्कार

सांप्रदायिक या पंथीय हिंसा के दौरान बलात्कार

गर्भवती स्त्री से बलात्कार

सम्मति देने में असमर्थ स्त्री से बलात्कार

मानसिक या शारीरिक निःशक्तता से ग्रसित किसी स्त्री से बलात्कार

बलात्कार करते समय स्त्री को गंभीर शारीरिक हानि कारित करना या विकलांग बनाना

किसी स्त्री से बार-बार बलात्कार

यदि निम्न परिस्थितियों में किसी स्त्री से बलात्कार किया जाता है तो बलात्कार के दोषी को कम से कम 10 वर्ष का कारावास जो आजीवन कारावास तक हो सकेगा और आजीवन कारावास से भी शेष जीवन काल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा,दिया जा सकेगा।

धारा 376 ए

पीड़िता की मृत्यु या लगातार विकृतशील दशा कारित करने के लिए दंड-

यदि कोई दोषी किसी स्त्री का बलात्कार करता है, वह बलात्कार करने में स्त्री की मृत्यु हो जाती है या फिर उसकी स्थिति विकृतशील हो जाती है तो ऐसी परिस्थिति में दोषी को धारा 376 ए के अंतर्गत न्यूनतम 20 वर्ष का कारावास और अधिकतम मृत्युदंड तक दिया जा सकेगा। आजीवन कारावास भी दिया जाएगा तो उसका अर्थ संपूर्ण शेष जीवन के कारावास से लगाया जाएगा।

धारा 376 बी

पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ पृथक्करण के दौरान मैथुन

पति सहमति के बिना अपनी ऐसी पत्नी के साथ जो पृथक्करण की डिक्री के कारण अन्यथा पति से अलग रह रही है, उसके साथ मैथुन करता है तो ऐसी परिस्थिति में धारा 376 बी का अपराध कारित होगा।

इस अपराध में न्यूनतम 2 वर्ष का कारावास और अधिकतम 7 वर्ष तक के कारावास और उसके साथ जुर्माने से भी दंडित किया जा सकेगा।

हाल ही के कुछ मामलों में देखा गया कि पति के घर रह रही, पति के साथ रह रही पत्नी भी बलात्कार का मुकदमा पति पर दर्ज करवा सकती है, परन्तु बाद के प्रकरणों में उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय को पलट दिया।

धारा 376सी

प्राधिकार में किसी व्यक्ति द्वारा मैथुन

कोई व्यक्ति जिस की स्थिति किसी स्त्री के साथ में भरोसे के नाते की हो या फिर प्राधिकार का मामला हो ,जैसे किसी अस्पताल का प्रबंधतंत्र हो, कर्मचारी हो कोई लोकसेवक हो, किसी जेल सुधारगृह या विधवागृह इत्यादि का कोई प्रबंधक हो, किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा जो विश्वास के नाते को भंग कर देता है और स्त्री के साथ में बलात्कार किया जाता है तो धारा 376सी के अंतर्गत उसे न्यूनतम 5 वर्ष पर अधिकतम 10 वर्ष के कारावास से दंडित किया जा सकता है।

धारा 376डी

सामूहिक बलात्कार

सामूहिक बलात्कार इस समय भारत में नासूर के सामान सामने आया है। पूरे समाज के लिए अत्यंत भयानक परिस्थिति है। इस परिस्थिति से निपटने के इंतजाम भारतीय दंड संहिता की धारा 376डी के अंतर्गत किए गए हैं।

जहां किसी स्त्री से एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा एक समूह गठित करके सामान आशय से बलात्कार किया जाता है, वहां पर कठोर अवधि के कारावास, जिसकी अवधि कम से कम 20 वर्ष की होगी और जो आजीवन कारावास जिसे शेष जीवन का कारावास अभिप्रेत हो वह भी दिया जा सकता है।

व्यक्तियों के सामूहिक बलात्कार का दोषी होने के परिणाम स्वरूप उन्हें न्यूनतम 20 वर्ष का कारावास दिए जाने का अधिकार सक्षम न्यायालय को भारतीय दंड संहिता की धारा के अंतर्गत प्राप्त है।

धारा 376ई

धारा 376AB

12 वर्ष से कम की उम्र की स्त्री से बलात्कार-

बारह वर्ष से कम की स्त्री से बलात्कार के दोषी को कम से कम 20 वर्ष और अधिकतम अंतिम सांस तक कारावास दिया जा सकता है।

धारा 376DA

16 वर्ष से कम आयु की स्त्री से सामुहिक बलात्कार

16 वर्ष से कम आयु की स्त्री से सामुहिक बलात्कार के दोषियों को केवल अंतिम सांस तक का कारावास और जुर्माना दिए जाने का प्रावधान किया गया है या फिर मृत्युदंड इस मामले में दिया जाएगा।

धारा 376DB

12 वर्ष से कम उम्र की स्त्री से सामुहिक बलात्कार के मामले में दोषियों को कम से कम अंतिम सांस तक कारावास या फिर मृत्युदंड का प्रावधान रखा गया है।

जुर्माना स्त्री को दिए जाने का प्रावधान है।

दोबारा बलात्कार करना

यदि किसी व्यक्ति द्वारा एक बार बलात्कार किया गया और उसे दोष सिद्ध कर दिया गया परंतु वही व्यक्ति पुनः बलात्कार करता है तो ऐसी परिस्थिति में दोषी को आजीवन कारावास जिसका अर्थ उस दोषी के शेष जीवन का कारावास माना जाएगा या फिर मृत्युदंड से दंडित किया जा सकेगा। 

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