संयुक्त आरोपों का प्रावधान: BNSS 2023, धारा 246 के तहत एक ही ट्रायल में अभियुक्तों का संयुक्त परीक्षण
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita), 2023 की धारा 246 में उन विशेष स्थितियों का वर्णन किया गया है जिनमें कई अभियुक्तों का संयुक्त रूप से एक ही ट्रायल में परीक्षण किया जा सकता है।
इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य उन मामलों में न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाना है, जहाँ कई आरोप जुड़े हुए या समान अपराध से जुड़े हों। इसके तहत दिए गए बिंदुओं को विस्तार से समझाते हुए संबंधित प्रावधानों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
1. एक ही लेन-देन में किए गए समान अपराध के लिए अभियुक्तों का संयुक्त परीक्षण
धारा 246 के उपधारा (a) के अनुसार, अगर एक ही लेन-देन (Transaction) में कई व्यक्तियों पर समान अपराध का आरोप हो, तो उन सबका संयुक्त परीक्षण किया जा सकता है।
"एक ही लेन-देन" का अर्थ है कि घटना एक निरंतर प्रक्रिया या घटनाओं की श्रृंखला के रूप में हुई हो। उदाहरण के लिए, अगर कई लोग मिलकर डकैती करते हैं, तो उन सभी का एक ही ट्रायल में संयुक्त परीक्षण किया जा सकता है।
2. मुख्य अपराध और उसके उकसावे या प्रयास में शामिल व्यक्ति
उपधारा (b) के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति पर मुख्य अपराध का आरोप हो और अन्य व्यक्ति पर उस अपराध में उकसाने (Abetment) या उसका प्रयास करने का आरोप हो, तो उन्हें संयुक्त रूप से एक ही ट्रायल में शामिल किया जा सकता है। उकसावे का अर्थ है अपराध को बढ़ावा देना, सहायता करना, या साजिश करना, जो मुख्य अपराध से जुड़ा होता है। यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया को पूर्ण रूप में समझने में मदद करता है।
3. बारह महीने के अंदर किए गए समान प्रकार के अपराध
धारा 246 की उपधारा (c) के तहत, उन व्यक्तियों का संयुक्त परीक्षण किया जा सकता है जिन्होंने बारह महीने के भीतर समान प्रकार के अपराध किए हों। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति पर अलग-अलग समय पर एक ही प्रकार की चोरी का आरोप है, तो उन सभी अपराधों का एक ही ट्रायल में संयुक्त रूप से परीक्षण किया जा सकता है।
4. एक ही लेन-देन में अलग-अलग अपराध करने वाले अभियुक्तों का परीक्षण
उपधारा (d) के अनुसार, अगर एक ही लेन-देन में अलग-अलग व्यक्तियों पर अलग-अलग अपराध का आरोप हो, तो उन सभी का संयुक्त परीक्षण किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर एक व्यक्ति हमला करता है और दूसरा व्यक्ति उसी घटना में चोरी करता है, तो इन दोनों का एक ही ट्रायल में परीक्षण संभव है।
5. संपत्ति से जुड़े अपराध और उसके बाद का अपराध
उपधारा (e) में प्रावधान है कि जिन व्यक्तियों पर किसी संपत्ति के चोरी, ठगी, धोखाधड़ी, या अनुचित स्वामित्व (Misappropriation) से जुड़े अपराध का आरोप हो, और उन पर भी आरोप हो कि उन्होंने संपत्ति को प्राप्त करने, रखने या छिपाने में सहायता की, तो उन सबका संयुक्त परीक्षण किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति ने चोरी की और संपत्ति को दूसरे को सौंप दिया, तो दोनों का एक साथ परीक्षण किया जा सकता है।
6. चोरी की गई संपत्ति को हस्तांतरित करने या रखने से जुड़े अपराध
उपधारा (f) के तहत, जिन व्यक्तियों पर चोरी की संपत्ति को एक अपराध के माध्यम से हस्तांतरित करने का आरोप है, उन सबका एक साथ परीक्षण किया जा सकता है। यह प्रावधान विशेष रूप से संगठित अपराध या चोरी से जुड़े नेटवर्क को संबोधित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
7. नकली सिक्कों से जुड़े अपराध
उपधारा (g) के अनुसार, नकली सिक्के (Counterfeit Coins) से जुड़े अपराधों में, उन व्यक्तियों का संयुक्त परीक्षण हो सकता है जिन्होंने नकली सिक्के बनाए हों या उन्हें वितरित किया हो। इसमें उकसावे या ऐसे अपराध करने के प्रयास में शामिल व्यक्तियों का परीक्षण भी शामिल है। इस प्रावधान का उद्देश्य नकली मुद्रा से जुड़े जटिल अपराधों को एक साथ देखना है।
8. अतिरिक्त आरोपों का समावेश न्यायालय के विवेकाधिकार पर
धारा 246 में एक proviso भी दिया गया है, जिसके अंतर्गत न्यायालय यह अनुमति दे सकता है कि यदि कोई व्यक्ति उपरोक्त श्रेणियों में नहीं आता है, फिर भी यदि उस पर लगाए गए आरोप न्यायिक दृष्टि से उचित हों और उससे किसी भी पक्ष को हानि न हो तो सभी आरोपियों का एक साथ परीक्षण किया जा सकता है।
इस अध्याय की पूर्व की धाराओं से संबंधित जानकारी
धारा 246 को इस अध्याय की पूर्ववर्ती धाराओं जैसे 242, 243, 244 और 245 के साथ पढ़ा जाना चाहिए, जो कई अपराधों को संयुक्त करने के मामलों को समझने में मदद करती हैं।
धारा 242 में उन मामलों को बताया गया है, जिनमें एक ही व्यक्ति द्वारा बार-बार अपराध किए गए हों, जबकि धारा 243 में एक ही अपराध के कई आरोपों के मामलों को शामिल किया गया है। धारा 244 और 245 उन मामलों को समझाते हैं जहां विभिन्न गंभीरता के अपराधों को एक साथ लाया जा सकता है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 246 संयुक्त परीक्षण के लिए विस्तृत प्रावधान प्रदान करती है, जिससे न्यायिक प्रणाली में समग्रता और न्यायिक प्रक्रिया की दक्षता बढ़ती है। इसके तहत दिए गए नियम जुड़े मामलों को एक साथ देखने का अवसर प्रदान करते हैं, जिससे आरोपों का समग्र और निष्पक्ष मूल्यांकन संभव होता है।