प्ली बार्गेनिंग में सहमति पर न्यायालय को रिपोर्ट सौंपने की प्रक्रिया : धारा 292, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023

Update: 2024-12-05 11:57 GMT

धारा 292, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) का हिस्सा है, जो प्ली बार्गेनिंग (Plea Bargaining) प्रक्रिया को स्पष्ट और पारदर्शी बनाने के लिए बनाई गई है। यह धारा, अध्याय XXIII के तहत, न्यायालय में सहमति या असहमति की स्थिति में आवश्यक प्रक्रिया को निर्धारित करती है।

पिछली धाराओं—धारा 289, 290, और 291—के तहत प्ली बार्गेनिंग की प्रक्रिया का प्रारंभिक चरण तय होता है। धारा 292 यह सुनिश्चित करती है कि प्रक्रिया के परिणाम को स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाए, चाहे वह सफल हो या असफल।

न्यायालय में सहमति रिपोर्ट दर्ज करना (Recording the Report in Court)

धारा 292 के अनुसार, यदि धारा 291 के तहत बैठक (Meeting) में पक्षकारों (Parties) के बीच मामला सुलझाने के लिए सहमति (Mutually Satisfactory Disposition) बन जाती है, तो न्यायालय इस समझौते का एक रिपोर्ट तैयार करता है। यह रिपोर्ट सभी संबंधित पक्षों और न्यायालय के पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) द्वारा हस्ताक्षरित (Signed) होनी चाहिए।

• इस रिपोर्ट में समझौते की पूरी जानकारी होती है, जैसे मुआवजे (Compensation) की राशि, अन्य शर्तें, आदि।

• यदि कोई सहमति नहीं बनती है, तो न्यायालय इसे रिकॉर्ड करता है और मामला उस बिंदु से आगे बढ़ता है जहां धारा 290 के तहत प्ली बार्गेनिंग के लिए आवेदन किया गया था।

धारा की महत्वपूर्ण बातें (Key Points of the Section)

• सफल सहमति (Successful Disposition): यदि समझौता सफल होता है, तो इसका रिकॉर्ड न्यायालय में जमा होता है और प्रक्रिया समाप्त हो जाती है।

• असफल सहमति (Unsuccessful Disposition): अगर सहमति नहीं बन पाती है, तो मामला नियमित सुनवाई (Trial) के तहत आगे बढ़ता है।

• सभी पक्षों की सहमति (Consent of All Parties): रिपोर्ट में यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह पूरी तरह से स्वेच्छा (Voluntary) से किया गया है।

उदाहरण (Examples)

उदाहरण 1: सफल समझौता

एक व्यक्ति पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) की धारा 323 (चोट पहुंचाने) के तहत आरोप है। आरोपी (Accused) ने धारा 290 के तहत प्ली बार्गेनिंग के लिए आवेदन किया। बैठक में आरोपी पीड़ित (Victim) के चिकित्सा खर्चों (Medical Expenses) का भुगतान करने और माफी मांगने पर सहमत हो गया। पीड़ित ने इसे स्वीकार कर लिया।

इस स्थिति में, न्यायालय ने समझौते की एक रिपोर्ट तैयार की, जिसे सभी पक्षकारों ने हस्ताक्षरित किया। मामला समझौते के आधार पर समाप्त हो गया।

उदाहरण 2: असफल समझौता

एक व्यक्ति पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 379 (चोरी) के तहत आरोप है। आरोपी ने प्ली बार्गेनिंग का आवेदन किया, लेकिन बैठक में पीड़ित ने आरोपी द्वारा दिए गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। कोई सहमति नहीं बन पाई।

इस स्थिति में, न्यायालय ने असहमति (Disagreement) की रिपोर्ट तैयार की और मामले को सुनवाई (Trial) के लिए आगे बढ़ा दिया।

पिछली धाराओं से संबंध (Connection to Previous Sections)

धारा 292, धारा 289, 290, और 291 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का अंतिम चरण है।

• धारा 289 ने प्ली बार्गेनिंग की पात्रता (Eligibility) और सीमा तय की।

• धारा 290 ने आवेदन करने की प्रक्रिया और शर्तें (Conditions) स्पष्ट कीं।

• धारा 291 ने सहमति बनाने की प्रक्रिया का वर्णन किया।

धारा 292 यह सुनिश्चित करती है कि समझौते का परिणाम रिकॉर्ड किया जाए और आगे की प्रक्रिया उसी के अनुसार तय हो।

धारा 292 प्ली बार्गेनिंग प्रक्रिया को पारदर्शी (Transparent) और न्यायसंगत (Fair) बनाती है। समझौते की रिपोर्ट को आधिकारिक रूप से दस्तावेजित (Documented) करने की आवश्यकता यह सुनिश्चित करती है कि न्यायालय में सभी प्रक्रियाएं स्पष्ट और सत्यापित (Verified) हों।

यह धारा यह भी सुनिश्चित करती है कि यदि कोई सहमति नहीं बनती, तो मामला नियमित प्रक्रिया (Regular Procedure) के तहत सुना जाए। इससे न केवल न्याय प्रणाली (Judicial System) में विश्वास बढ़ता है, बल्कि यह पीड़ित और आरोपी दोनों के अधिकारों (Rights) की रक्षा भी करती है।

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