किसी भी कैदी को जेल से बाहर न ले जाने का आदेश देने की सरकार की शक्ति : धारा 303 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023

Update: 2024-12-10 16:12 GMT

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 303 सरकार को यह अधिकार देती है कि वह किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को जेल से बाहर लाने पर रोक लगा सके, भले ही अदालत ने धारा 302 के तहत आदेश जारी किया हो। यह प्रावधान उन विशेष परिस्थितियों के लिए है जहां सार्वजनिक हित (Public Interest) या सुरक्षा (Security) से जुड़े मुद्दे सामने आते हैं।

जेल से बाहर न ले जाने का आदेश (Order to Restrict Removal from Prison) - उपधारा (1)

उपधारा (1) के अनुसार, राज्य सरकार (State Government) या केंद्र सरकार (Central Government) विशेष आदेश (Special Order) या सामान्य आदेश (General Order) जारी कर सकती है, जिसमें यह निर्देश दिया जा सकता है कि किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को जेल से बाहर न लाया जाए। ऐसा आदेश जारी होने के बाद, जब तक यह लागू है, अदालत का धारा 302 के तहत दिया गया आदेश उस व्यक्ति पर लागू नहीं होगा।

उदाहरण:

मान लीजिए, एक व्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कानून (National Security Law) के तहत हिरासत में रखा गया है। अदालत ने उसे किसी अन्य मामूली मामले में गवाही के लिए बुलाया है। सरकार यह आदेश जारी कर सकती है कि उस व्यक्ति को जेल से बाहर न लाया जाए, और इस स्थिति में अदालत का आदेश अमान्य हो जाएगा।

आदेश जारी करने से पहले विचार करने वाले बिंदु (Factors to Consider Before Issuing an Order) - उपधारा (2)

उपधारा (2) यह सुनिश्चित करती है कि सरकार इस तरह का आदेश जारी करने से पहले आवश्यक बिंदुओं पर विचार करे। इसमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं:

1. अपराध का प्रकार या हिरासत का कारण (Nature of Offense or Grounds for Detention)

सरकार यह देखती है कि जिस अपराध के लिए व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है, वह कितना गंभीर है।

उदाहरण:

अगर कोई व्यक्ति आतंकवाद (Terrorism) या संगठित अपराध (Organized Crime) में शामिल है, तो यह गंभीर अपराध की श्रेणी में आएगा, और सरकार उसे जेल में रखना उचित समझेगी।

2. सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रभाव (Likelihood of Disturbance to Public Order)

सरकार यह आकलन करती है कि अगर व्यक्ति को जेल से बाहर लाया गया, तो इससे सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order) पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

उदाहरण:

अगर एक बड़े गैंग का सरगना (Gang Leader) अदालत में पेशी के लिए ले जाया जा रहा है और इससे उनके सहयोगियों के बीच हिंसा भड़क सकती है, तो सरकार ऐसा आदेश जारी कर सकती है।

3. सार्वजनिक हित (Public Interest)

सरकार को यह भी देखना होता है कि आम जनता के हित में व्यक्ति को जेल में ही रखा जाए।

उदाहरण:

यदि किसी राजनीतिक नेता को सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence) भड़काने के लिए हिरासत में लिया गया है, और उसकी उपस्थिति से तनाव बढ़ने की आशंका है, तो सरकार उसे बाहर न लाने का आदेश दे सकती है।

धारा 302 से संबंध (Relation to Section 302)

धारा 303 का धारा 302 से गहरा संबंध है। धारा 302 अदालतों को यह अधिकार देती है कि वे किसी बंद व्यक्ति को गवाही, सुनवाई, या अन्य कार्यवाही के लिए बुला सकें। वहीं, धारा 303 यह सुनिश्चित करती है कि सरकार विशेष परिस्थितियों में ऐसे आदेशों को लागू होने से रोक सके। यह प्रावधान न्यायपालिका (Judiciary) और कार्यपालिका (Executive) के अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखता है।

उदाहरण:

अगर अदालत ने किसी बड़े अपराधी को पेशी के लिए बुलाया है, लेकिन सरकार को लगता है कि उसकी उपस्थिति से हिंसा भड़क सकती है, तो सरकार धारा 303 के तहत आदेश जारी कर सकती है और अदालत का आदेश लागू नहीं होगा।

धारा 303, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो उन स्थितियों में सरकार को निर्णायक शक्ति देता है जहां व्यक्ति को जेल से बाहर लाने से सार्वजनिक सुरक्षा या व्यवस्था पर खतरा हो सकता है। यह प्रावधान न्याय और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाता है और सुनिश्चित करता है कि न्यायिक प्रक्रियाओं में कोई बाधा न आए, लेकिन व्यापक सार्वजनिक हित भी सुरक्षित रहे।

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