निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 28: अनादर के टिप्पण और प्रसाक्ष्य से संबंधित प्रावधान (Noting and protest) (धारा- 99, 100)

Update: 2021-09-27 14:13 GMT

परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 99 और 100 में टिप्पन और प्रसाक्ष्य से संबंधित प्रावधान प्रस्तुत किए गए हैं। यह प्रावधान वचन पत्र और विनिमय पत्र से संबंधित हैं इनका संबंध चेक से नहीं है।

यह प्रावधान एक प्रकार से सुरक्षात्मक प्रावधान है जो किसी विनिमय पत्र या वचन पत्र से संबंधित व्यवहार में इसके धारक को साक्ष्य संबंधी अधिकार देता है। न्यायालय में जाने के पूर्व वचन पत्र के लेखीवाल द्वारा भुगतान नहीं किए जाने पर जो सूचना धारक द्वारा दी जाती है उस सूचना को साक्ष्य के रूप में लाने की प्रक्रिया ही टिप्पण एवं प्रसाक्ष्य कहलाती है जिससे संबंधित प्रक्रिया का उल्लेख इन दोनों धाराओं में दिया गया है जिनका विस्तार पूर्वक उल्लेख इस आलेख के अंतर्गत किया जा रहा है।

टिप्पण और प्रसाक्ष्य के संबंध में-

धारा:- 99

अनादर की सूचना के पश्चात् धारक द्वारा दूसरा लिया जाने वाला कदम अनादर के तथ्य का टिप्पण एवं प्रसाक्ष्य होता है जिसे नोटरी पब्लिक द्वारा धारा 99 एवं 100 के अधीन दिया जाता है। टिप्पण एवं प्रसाक्ष्य से सम्बन्धित विधि अधिनियम की धारा 99 से 104 एवं 104क में उपबन्धित है।

जब कोई वचन पत्र या विनिमय पत्र (चेक नहीं) अनादृत हो जाता है, धारक अनादर की सम्यक् सूचना देकर वचन पत्र के रचयिता या विनिमय पत्र के लेखीवाल या पृष्ठांकक पर बाद ला सकता है या वह टिप्पण या प्रसाक्ष्य करा सकता है जिससे अनादर के तथ्य का प्रमाणीकरण प्राप्त कर सके। यह स्वयं लिखत पर या इससे सम्बद्ध कागज़ पर या आंशिक प्रत्येक पर हो सकता है।

इसमें निम्नलिखित विवरण होता है:-

1. अनादर का तथ्य।

2. अनादर की तिथि।

3. अनादर का कारण, यदि कोई हो।

4. यदि लिखत अभिव्यक्त रूप में अनादृत नहीं है तो वह कारण जिससे धारक इसे अनादृत मानता है।

5. नोटरी के खर्च।

अनादर के समय से टिप्पण युक्तियुक्त समय में किया जाना चाहिए। देशीय विनिमय पत्र या वचन पत्र की दशा में टिप्पण आवश्यक नहीं होता है। धारक लिखत का टिप्पण करा सकता है या नहीं करा सकता है। और इसका लोप उसके अधिकार को किसी तरह से प्रभावित नहीं करते हैं। टिप्पण एवं प्रशाक्ष्य के प्रावधान चेक पर लागू नहीं होते हैं।

धारा:- 100

धारा 100 के अंतर्गत निम्न शब्द प्रस्तुत किए गए हैं-

प्रसाक्ष्य-"जब कि वचन-पत्र या विनिमय-पत्र अप्रतिग्रहण या असंदाय द्वारा अनादृत हो गया है, तब धारक ऐसे अनादर को नोटरी पब्लिक द्वारा युक्तियुक्त समय के भीतर टिप्पणित और प्रमाणित करा सकेगा। ऐसा प्रमाण प्रसाक्ष्य कहलाता है।

बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य-जब कि विनिमय-पत्र का प्रतिग्रहीता दिवालिया हो गया है या विनिमय पत्र की परिपक्वता से पूर्व उसका प्रत्यय खुले आम अधिक्षेपित किया गया है, तब धारक प्रतिग्रहीता से बेहतर प्रतिभूति की माँग नोटरी पब्लिक से युक्तियुक्त समय के अन्दर करवा सकेगा और प्रतिभूति दिए जाने से इंकार किए जाने पर ऐसे तथ्यों को युक्तियुक्त समय के भीतर पूर्वोक्त जैसे टिप्पणित और प्रमाणित करवा सकेगा। ऐसा प्रमाण बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य कहलाता है।"

प्रसाक्ष्य क्या है? - जब वचन पत्र एवं विनिमय पत्र के अनादर के तथ्य को नोटरी पब्लिक से टिप्पण कराने के पश्चात् वचन पत्र या विनिमय पत्र के अनादर को प्रमाणित करा सकेगा और उसका प्रमाणन प्राप्त कर सकेगा। जिसे प्रसाक्ष्य कहते हैं।

प्रसाक्ष्य प्राप्त करने का प्रयोजन होता है:-

(1) यह लेखीवाल या पृष्ठांकक जो विदेश में रह रहे हैं के लिए अनादर के साक्ष्य का सन्तोषजनक प्रमाण होता है,

(2) न्यायालय किसी याद में धारा 119 के अधीन अनादर के तथ्य को उपधारित कर सकेगा। टिप्पणी के समान देशी विनिमय पत्र या वचन पत्र पर प्रसाक्ष्य अनिवार्य नहीं होता है एवं प्रसाक्ष्य का लोप किसी तरह उस पर धारक के अधिकार को प्रभावित नहीं करते हैं।

प्रासक्ष्य पुनः हो सकता है

(1) अधिनियम की धारा 100 के प्रथम पैरा में दिया गया सामान्य प्रसाक्ष्य जो विनिमयपत्र एवं वचन पत्र दोनों के लिए है।

(2) बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य-धारा 100 का दूसरा पैरा बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य से सम्बन्धित है जो अपेक्षित होता है केवल विनिमय पत्र लिए-

(1) जहाँ विनिमय पत्र का प्रतिग्रहीता दिवालिया हो जाता है, या

(ii) जहाँ प्रतिग्रहीता का साथ खुले आम अधिक्षेपित किया गया है, या

(iii) विनिमय पत्र के परिपक्वता के पूर्व, की माँग कर सकेगा, और

(iv) धारक, प्रतिग्रहीता से बेहतर प्रतिभूति (v) मना करने पर

(vi) युक्तियुक्त समय के भीतर,

(vii) ऐसे तथ्य को टिप्पणित या प्रमाणित करा सकेगा।

ऐसा प्रमाणन बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य कहलाता है। विदेशी बिल का प्रसाक्ष्य आवश्यक होता है [धारा 104] बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य केवल विनिमय पत्र के लिए लिए होता है।

धारा:- 101 प्रसाक्ष्य की अन्तर्वस्तुएँ-धारा 100 के अधीन प्रसाक्ष्य में अन्तर्विष्ट होने चाहिए।

(क) या तो स्वयं लिखत या लिखत की और जिसके ऊपर लिखी या मुद्रित हर बात की अक्षरश: अनुलिपि।

(ख) उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए और जिसके विरुद्ध लिखत प्रसाक्ष्यित की गई है।

(ग) यह कथन कि, यथास्थिति, संदाय या प्रतिग्रहण या बेहतर प्रतिभूति को माँग नोटरी पब्लिक द्वारा ऐसे व्यक्ति से की गई है; यदि उस व्यक्ति का कोई उत्तर है, तो उस उत्तर के शब्द या यह कथन कि उसमें कोई उत्तर नहीं दिया था वह पाया नहीं जा सका।

(घ) जब कि वचन-पत्र या विनिमय-पत्र अनादृत किया गया है, तब अनादर का स्थान और समय और जब कि बेहतर प्रतिभूति देने से इन्कार किया गया है, तब इन्कार का स्थान और समय।

(ङ) प्रसाक्ष्य करने वाले नोटरी पब्लिक के हस्ताक्षर;

(च) आदरणार्थ प्रतिग्रहण या आदरणार्थ संदाय की दशा में उस व्यक्ति का नाम, जिस द्वारा, उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए, और वह रीति, जिससे ऐसा प्रतिग्रहण या संदाय प्रस्थापित किया गया था और दिया गया था।

नोटरी पब्लिक इस धारा के खण्ड (ग) में वर्णित माँग या तो स्वयं या अपने लिपिक द्वारा या, जहाँ कि करार या प्रथा से यह प्राधिकृत है वहाँ, रजिस्ट्रीकृत चिट्ठी द्वारा कर सकेगा।

धारा:- 102 जहाँ विनिमय पत्र या वचन पत्र का विधि द्वारा प्रसाक्ष्य के लिए अपेक्षित है, वहाँ अनादर की सूचना के स्थान पर ऐसे प्रसाक्ष्य की सूचना अवश्य दिया जाना चाहिए। प्रसाक्ष्य की सूचना सामान्तया अनादर की सूचना के साथ यह सूचना कि विधि द्वारा अपेक्षित विनिमय पत्र या वचन पत्र का प्रसाक्ष्य करा लिया गया है। किसी लिखत के पक्षकारों की आवद्धता को अभिनिश्चित करने के लिए प्रसाक्ष्य की सूचना आवश्यक होती है जहाँ, प्रसाक्ष्य अपेक्षित है।

प्रसाक्ष्य की सूचना नोटरी पब्लिक के द्वारा दी जानी चाहिए जिसने प्रसाक्ष्य किया है। धारा 102 के अधीन प्रसाक्ष्य की सूचना प्रसाक्ष्य कराने वाले विनिमय पत्र या वचन पत्र के धारक द्वारा भी दी जा सकेगी।

प्रसाक्ष्य की सूचना उसी रीति में और उन्हीं शर्तों के अध्यधीन रहते हुए अनादर की सूचना के बदले में देनी होगी।

धारा:- 103

एक विनिमय पत्र जो ऊपरवाल के दिए गए निवास से भिन्न किसी अन्य स्थान पर देय बनाया गया है, जिसे अप्रतिग्रहण से अनादृत किया गया है पुनः बिना ऊपरवाल को उपस्थापित किए असंदाय के लिए प्रसाक्ष्य कराया जा सकेगा जब तक कि परिपक्वता के पूर्व उसका संदाय नहीं कर दिया जाता। ऐसी दशा में संदाय के लिए उपस्थापन अपेक्षित नहीं होता है।

धारा:- 104. विदेशी विनिमय-पत्रों का प्रसाक्ष्य-

धारा 104 में यह अपेक्षित है कि विदेशी विनिमय पत्र का प्रसाक्ष्य अवश्य होना चाहिए। ऐसा प्रसाक्ष्य का स्थान उस स्थान पर होना चाहिए जहाँ उनको लिखा जाता है। यह ध्यान में रखना चाहिए कि सभी विनिमय पत्र जो भारत के बाहर लिखे गए हैं विधि द्वारा प्रसाक्ष्य किए जाएंगे, परन्तु भारत में लिखे गए विनिमय पत्र को प्रसाक्ष्य कराना आवश्यक नहीं होगा, क्योंकि ऐसे विनिमय पत्र देशी बिल होते हैं और केवल भारत के बाहर लिखे जाने से यह विदेशी बिल नहीं होता है।

धारा:- 104-(क) टिप्पण कब प्रसाक्ष्य के समतुल्य होता है-

कब टिप्पण प्रसाक्ष्य के समतुल्य होता है- धारा 104क यह उपबन्धित करती है कि जहाँ कि विनिमय पत्र या वचन पत्र का इस अधिनियम के प्रयोजन से प्रसाक्ष्य कराना अपेक्षित किया गया है, जिसे-

(i) एक विनिर्दिष्ट समय के अन्दर, या

(ii) आगे कोई कार्यवाही किये जाने से पूर्व कराया जाना है,

वहाँ वचन पत्र या विनिमय पत्र का विनिर्दिष्ट समय के अवसान के पूर्व या कार्यवाही करने के पूर्व प्रसाक्ष्य के लिए टिप्पण कराना पर्याप्त होगा और इसके बाद किसी भी समय औपचारिक प्रसाक्ष्य, टिप्पण किए जाने की तिथि के पश्चात् कराया जा सकेगा।

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