विदेशी कमीशन का निष्पादन: धारा 325 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023

Update: 2024-12-30 12:08 GMT

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 या BNSS) का उद्देश्य भारत के आपराधिक प्रक्रिया कानूनों को आधुनिक और सरल बनाना है। इस संहिता में गवाहों (Witnesses) की गवाही (Testimony) के लिए कमीशन (Commission) जारी करने से जुड़े प्रावधान (Provisions) खास भूमिका निभाते हैं।

धारा 325 विदेशी कमीशन (Foreign Commissions) के निष्पादन (Execution) के लिए प्रक्रियाएं निर्धारित करती है। यह प्रावधान, गवाहों की गवाही रिकॉर्ड करने और उनका इस्तेमाल कानूनी प्रक्रिया में सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (International Cooperation) को सरल बनाता है। इस प्रावधान को समझने के लिए, पहले धारा 319 से 324 के अन्य प्रावधानों को जानना जरूरी है, जो घरेलू कमीशन (Domestic Commissions) से संबंधित हैं।

पृष्ठभूमि: धारा 319 से 324 का संदर्भ

धारा 319 यह स्पष्ट करती है कि जब किसी गवाह को कोर्ट में बुलाना मुश्किल हो या खर्च, समय या असुविधा के कारण उचित न हो, तो कमीशन जारी किया जा सकता है।

धारा 320 बताती है कि कमीशन किसे जारी किया जाएगा।

धारा 321 कमीशन को निष्पादित (Execute) करने की प्रक्रिया बताती है।

धारा 322 गवाह की जांच (Examination) में पक्षकारों (Parties) की भागीदारी सुनिश्चित करती है।

धारा 323 यह स्पष्ट करती है कि निष्पादित कमीशन को कैसे लौटाया जाएगा और इसे कानूनी साक्ष्य (Evidence) के रूप में कैसे उपयोग किया जा सकता है।

धारा 324 में कमीशन की प्रक्रिया पूरी होने तक कार्यवाही (Proceeding) को स्थगित (Adjourn) करने की अनुमति दी गई है।

धारा 325 के मुख्य प्रावधान (Provisions of Section 325)

घरेलू प्रावधानों (Domestic Provisions) का विस्तार

धारा 325 (Subsection 1) कहती है कि धारा 321, 322 और 323 में कमीशन के निष्पादन और लौटाने से संबंधित जो प्रावधान दिए गए हैं, वही विदेशी कमीशन पर भी लागू होंगे। इसका मतलब यह है कि विदेशी कमीशन को भी उन्हीं प्रक्रियाओं का पालन करना होगा, जो घरेलू कमीशन के लिए निर्धारित की गई हैं।

उदाहरण:

यदि अमेरिका में किसी गवाह की गवाही जरूरी है और वहां की कोर्ट एक कमीशन जारी करती है, तो उस कमीशन को निष्पादित करने के लिए भारतीय कानून की प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा।

विदेशी कोर्ट, जज और मजिस्ट्रेट की पहचान

धारा 325 (Subsection 2) उन विदेशी कोर्ट्स, जज और मजिस्ट्रेट्स की पहचान करता है, जिनके कमीशन भारत में निष्पादित किए जा सकते हैं। ये दो प्रकार के हैं:

1. भारत के गैर-BNSS क्षेत्र (Non-BNSS Area)

ऐसे क्षेत्र जहां यह संहिता लागू नहीं होती, वहां की कोर्ट, जज या मजिस्ट्रेट, जिन्हें केंद्र सरकार (Central Government) अधिसूचना (Notification) के माध्यम से पहचानती है।

उदाहरण:

भारत के आदिवासी क्षेत्र जहां विशेष कानून लागू होते हैं, वहां की कोर्ट द्वारा जारी कमीशन धारा 325 के तहत निष्पादित किया जा सकता है।

2. विदेशी क्षेत्र (Foreign Jurisdiction)

किसी विदेशी देश की कोर्ट, जिसे केंद्र सरकार अधिसूचित करे, यदि उनके पास अपने देश के कानून के तहत कमीशन जारी करने की वैधता (Authority) है।

उदाहरण:

जर्मनी की एक कोर्ट द्वारा भारत में गवाह की गवाही के लिए जारी कमीशन धारा 325 के तहत निष्पादित हो सकता है।

विदेशी कमीशन के निष्पादन के व्यावहारिक प्रभाव (Practical Implications)

सीमा-पार सहयोग सुनिश्चित करना

धारा 325 अंतर्राष्ट्रीय मामलों में सहयोग को बढ़ावा देता है। आज के दौर में जब अपराध (Crime) अक्सर अंतर्राष्ट्रीय सीमा-पार (Cross-Border) होते हैं, तो यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि गवाहों की महत्वपूर्ण गवाही सिर्फ इसलिए न छूट जाए कि वे दूसरे देश में हैं।

प्रक्रियागत संगति (Procedural Consistency) बनाए रखना

धारा 321, 322 और 323 की प्रक्रियाओं को लागू करके, यह सुनिश्चित किया जाता है कि विदेशी कमीशन के निष्पादन में कोई भेदभाव या अनुचितता न हो।

उदाहरण:

मान लीजिए, एक गवाह, जो एक हत्या के मामले में महत्वपूर्ण है, किसी ऐसे देश में रहता है जहां गवाही दर्ज करने के मानदंड भारत से अलग हैं। धारा 325 सुनिश्चित करता है कि गवाह की गवाही भारतीय कानूनी मानकों (Indian Legal Standards) के अनुसार दर्ज की जाए।

उदाहरण (Illustrations)

1. विदेशी ड्रग तस्करी मामला:

एक भारतीय नागरिक, जो विदेश में ड्रग तस्करी के मामले में शामिल है, को भारत में गिरफ्तार किया जाता है। विदेशी कोर्ट द्वारा एक गवाह की गवाही के लिए कमीशन जारी किया जाता है। धारा 325 के तहत, इस कमीशन को भारत में निष्पादित किया जाएगा।

2. साइबर क्राइम केस:

भारत में एक गवाह, जो यूरोप में हुई साइबर क्राइम घटना से जुड़ी जानकारी रखता है, के लिए यूरोपीय कोर्ट कमीशन जारी करती है। धारा 325 सुनिश्चित करता है कि यह गवाही भारतीय प्रक्रियाओं के अनुसार दर्ज की जाए।

प्रशासनिक चुनौतियां और सुरक्षा उपाय (Administrative Challenges and Safeguards)

चुनौतियां

• विदेशी कमीशन को निष्पादित करने में सरकारों के बीच समन्वय (Coordination) में देरी।

• अलग-अलग कानूनी प्रणालियों (Legal Systems) के कारण व्यावहारिक समस्याएं।

गवाहों की सुरक्षा (Protection of Witnesses)

गवाहों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए धारा 321 से 323 की प्रक्रियाएं लागू की जाती हैं।

साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) के साथ संबंध

धारा 325 यह भी सुनिश्चित करता है कि विदेशी कमीशन के तहत दर्ज गवाही, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (Bharatiya Sakshya Adhiniyam, 2023) के मानदंडों को पूरा करे। यह सुनिश्चित करता है कि विदेशी गवाही भारतीय न्यायालय में मान्य हो।

धारा 325 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक सहयोग (Judicial Cooperation) को सरल और पारदर्शी बनाता है। यह न केवल सीमा-पार मामलों में न्याय सुनिश्चित करता है, बल्कि प्रक्रियागत समानता और गवाहों के अधिकारों की सुरक्षा भी करता है।

इस प्रावधान के माध्यम से, भारत ने वैश्विक आपराधिक न्याय प्रणाली (Global Criminal Justice System) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। धारा 325 आधुनिक कानून का एक आदर्श उदाहरण है, जो प्रक्रिया की कठोरता और व्यावहारिक अनुकूलता के बीच संतुलन स्थापित करता है।

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