भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 (जी) उपबंधित करता है कि संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा पंचायतों को ऐसी शक्तियां और प्राधिकार प्रदान कर सकता है जो उन्हें स्वायत्त शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक समझे और ऐसी निजी पंचायत को उपयुक्त स्तर पर ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जैसी उसमें विनिर्दिष्ट की जाए-
आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करना और आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की स्कीमों को जो उन्हें सौंपी जाए जिनके अंतर्गत वे स्कीम भी हैं जो 11वीं अनुसूची में सूचीबद्ध विषयों से संबंधित हैं क्रियान्वित करना मुख्य कार्य है।
ग्यारहवीं अनुसूची के अंतर्गत इस उद्देश्य से संविधान में कुछ शक्तियां ग्राम पंचायतों को दी गई और ग्राम पंचायतों को यह शक्तियां देने के उद्देश्य से ही 11वीं अनुसूची संविधान में जोड़ी गई। इस अनुसूची के अंतर्गत ऐसे विषयों का वर्णन किया गया है जिन पर पंचायतों को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई है।
कृषि और कृषि विस्तार, भूमि सुधार, चकबंदी, भूमि अनुरक्षण, लघु सिंचाई ,जल प्रबंधन, पशुपालन, दूध उद्योग, मुर्गी पालन, मत्स्य उद्योग, सामाजिक वन उद्योग, लघु वन उद्योग, लघु उद्योग जिसमें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भी शामिल है, सड़क और पुल, पुलिया, घाट, जलमार्ग तथा अन्य साधन, ग्रामीण बिजली, गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत, गरीबी उपशमन कार्यक्रम, शिक्षा जिसमें प्राइमरी और माध्यमिक विद्यालय भी हैं, तकनीकी प्रशिक्षण और व्यवसायिक शिक्षा, पूर्ण और अनौपचारिक शिक्षा, पुस्तकालय, सांस्कृतिक क्रियाकलाप, बाजार और मेले, स्वास्थ्य, स्वच्छता जिसमें अस्पताल प्रथमिक स्वास्थ्य केंद्र औषधालय भी हैं, परिवार कल्याण, स्त्री और बाल विकास, समाज कल्याण जिसमें विकलांग और मानसिक रूप से विकलांग भी शामिल हैं, जनता के कमजोर वर्गों का विशेष रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों का कल्याण, लोक प्रणाली सामुदायिक कार्यो का अनुरक्षण।
इस प्रकार ग्राम पंचायतों को इतने सारे विषयों पर विधि बनाने की शक्तियां प्रदान की गई है। भारत के अलग-अलग राज्यों ने अपने अपने पंचायती राज अधिनियम बनाए हुए हैं।
अनुच्छेद 243 द्वारा पंचायतों पर बहुत बड़ा दायित्व सौंपा गया है। इस दायित्व की सफलता के लिए गांव में रहने वाले लोगों का शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है, अभी इसका बहुत अभाव है। पंचायती राज संस्थाओं की सफलता और असफलता बहुत कुछ इस पर ही निर्भर है यदि हम पंचायती राज संस्थाओं की स्थापना निर्वाचन की पूर्ति के लिए कर रहे हैं तो उसकी सफलता संदिग्ध है।
अनुच्छेद 243 भाग 9 के उपबंध संघ राज्य क्षेत्रों को लागू होंगे और संघ राज्य क्षेत्रों को उनके लागू होने में उनका यह प्रभाव होगा मानो वह राज्य के राज्यपाल के प्रति निर्देश अनुच्छेद 239 के अधीन नियुक्त किए गए है। संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक के प्रति निर्देश हैं और राज्य के विधान मंडल और विधानसभा के प्रतिनिधि उस संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में जिसमे विधानसभा है उस विधानसभा के प्रति निर्देश है।