सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 163: आदेश 29 नियम 2 व 3 के प्रावधान

Update: 2024-03-29 08:46 GMT

सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 29 निगमों द्वारा या उनके विरुद्ध वाद है। इस आदेश के अंतर्गत यह स्पष्ट किया गया है कि किसी निगम के विरुद्ध वाद कैसे लाया जाएगा एवं कोई निगम किस प्रकार वाद ला सकता है। चूंकि निगम भी एक अप्राकृतिक व्यक्ति ही है एवं उसके भी किसी व्यक्ति की तरह अधिकार दायित्व होते हैं। इस आलेख के अंतर्गत आदेश 29 के नियम 2 व 3 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।

नियम-2 निगम पर तामील-आदेशिका की तामील का विनियमन करने वाले किसी भी कानूनी उपबन्ध के अधीन रहते हुए, जहां वाद किसी निगम के विरुद्ध है वहां समन की तामील-

(क) उस निगम के सचिव या किसी भी निदेशक या अन्य प्रधान अधिकारी पर की जा सकेगी, अथवा

(ख) उसके रजिस्ट्रीकृत कार्यालय में या यदि कोई रजिस्ट्रीकृत कार्यालय नहीं है तो उस स्थान पर जहां निगम कारबार चलाता है, छोड़कर या समन को ऐसे कार्यालय या स्थान के पते से निगम को सम्बोधित करके डाक द्वारा भेजकर की जा सकेगी।

नियम 2 के अनुसार निगम पर तामील कराने का तरीका इस प्रकार है:- (1) आदोशिका की तामील संबंधी कानूनी उपबंधों का पालन किया जाएगा। अतः आदेश 5 के उपबन्धों की पालना की जाएगी, (2) तामील करने के तीन तरीके हैं:-

उस निगम के सचिव, या निदेशक या अन्य प्रधान अधिकारी पर तामील की जा सकेगी इस प्रकार यह व्यक्तिगत तामील होगी। या

उसके रजिष्ट्रीकृत कार्यालय नहीं हो, तो निगम के कारबार के स्थान पर (क) समन को छोड़कर, या वहाँ (ख) डाक द्वारा भेजकर।

आदेशिका की तामील का विनियम करने वाले किसी कानूनी उपबन्ध के अधीन रहते हुए-आदेश 29, नियम 2 में प्रयुक्त इस शब्दावली में बताये गये कानूनी उपबन्ध आदेश 5 में दिये गये हैं। अतः आदेश 29, नियम 2 (क) के अधीन निगम के अधिकारी पर साधारण तरीके से की गई व्यक्तिगत तामील उचित है। इस नियम में वर्णित अधिकारी निगम का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे अधिकारी पर डाक माध्यम से तामील करवाना इस नियम सपठित आदेश 5 (ख) के अधीन साधारण तरीका नहीं है, हालांकि आदेश 29, नियम 2 (ख) में निगम के रजिस्टर्ड का कार्यालय पर डाक द्वारा तामील करवाने की अनुमति है।

शब्द प्रधान अधिकारी का स्वरूप प्रधान अधिकारी शब्द में इस नियम के अधीन मैनेजिंग एजेन्ट सम्मिलित होगा, हालांकि नियम 1 और 2 के अधीन तामील किसी प्राकृतिक व्यक्ति पर करनी होगी, पर इस नियम के अनुसार यह न्यायिक व्यक्ति पर भी की जा सकती है। अतः मैनेजिंग एजेन्ट, जो कि निगम है, पर की गई तामील वैध मानी गई।

रजिस्ट्रीकृत सहकारी समिति- सहकारी समिति अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत सहकारी समिति एक "निगम" है और उसके रजिस्ट्रीकृत पते पर डाक से सूचना (नोटिस) भेजना तामील का उचित तरीका है। यह तथ्य कि समिति प्रशासन ने स्वयं उस डाक पैकेट को प्राप्त नहीं किया, अतात्विक है।

आपसी विवाद का प्रभाव नहीं यदि किसी कम्पनी और उसके निदेशक के बीच कोई विवाद है, तो उनका आपसी मामला है। इससे समन की तामील की वैधता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

कम्पनी के विरुद्ध वाद में समन की तामील का ढंग एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करना सही-एक वाद में कहा गया है कि आदेश 29 के नियम 2 के खण्ड (ख) के अर्थ को संहिता के आदेश 5 की पृष्ठभूमि के आधार पर समझा जाना चाहिये। आदेश 5 प्रकृत व्यक्तियों को समन जारी करने और उन पर समन तामील करने के लिए आशयित है। कम्पनी के रजिस्ट्रीकृत कार्यालय को डाक द्वारा समन के भेजे जाने को, जब तक कि प्रतिकूल न दर्शाया गया हो, स्वयं कम्पनी पर समन की तामील माना जाएगा।

निगम को उसके रजिस्ट्रीकृत कार्यालय पर उसे सम्बोधित समन का डाक द्वारा भेजा जाना या तो स्वयं में या अधिमानतः तामील किये जाने के एक अतिरिक्त ढंग के तौर पर तामील का एक अच्छा ढंग हो सकता है। किन्तु निगम के रजिस्ट्रीकृत कार्यालय पर समन के छोड़े जाने को यदि शाब्दिक रूप से यह कहने के लिए निर्वचन किया जाता है कि समन को कम्पनी के रजिस्ट्रीकृत कार्यालय पर बिना किसी सावधानी के कहीं भी छोड़ा जा सकता है, तब उसके असंगत और गम्भीर परिणाम होंगे।

इस बात को संहिता के आदेश 9 नियम 17 में अन्तर्विष्ट उपबन्ध की पृष्ठभूमि के आधार पर ही पढ़ा जाना चाहिये। दूसरे शब्दों में, यदि समन तामील कराने वाला बेलीफ निगम के सचिव या किसी निदेशक या किसी अन्य मुख्य अधिकारी पर समन तामील करने में असफल रहता है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति या तो समन पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता है या समन तामील करने वाला व्यक्ति युक्तियुक्त तत्परता बरतने के पश्चात् भी ऐसे व्यक्ति को ढूंढ़ नहीं पाता है, तब वह कम्पनी के रजिस्ट्रीकृत कार्यालय पर समन छोड़ सकता है और उस आशय की रिपोर्ट कर सकता है।

निगम के अधिकारी की स्वीय हाजिरी अपेक्षित करने की शक्ति-वाद के किसी भी प्रक्रम में न्यायालय यह अपेक्षा कर सकेगा कि निगम का सचिव या कोई निदेशक या अन्य प्रधान अधिकारी, जो वाद से सम्बन्धित सारवान् प्रश्नों का उत्तर देने योग्य है, स्वयं उपसंजात हो।

निदेशक की स्वीय-उपस्थिति-जब नियम 3 के अनुसार किसी निदेशक को स्वयं न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया जाता है, तो इस नियम में कोई निदेशक से वही निदेशक अभिप्रेत नहीं है, जिसने वादपत्र या लिखित कथन पर हस्ताक्षर व सत्यापन किया था। कोई अन्य निदेशक को जो वाद या वाद के उत्तर संबंधी तथ्यों का उत्तर दे सके, ऐसा आदेश दिया जा सकता है। इस प्रकार जब किसी निदेशक या सचिव को स्वीय उपस्थिति का निर्देश न्यायालय ने दिया हो और वह उस आदेश का उल्लंघन कर स्वयं उपस्थित नहीं होता है, तो न्यायालय इस बारे में उचित कार्यवाही कर सकता है।

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