क्या केंद्र सरकार Enforcement Director के कार्यकाल का विस्तार कर सकती है?
सुप्रीम कोर्ट के इस महत्वपूर्ण फैसले में यह सवाल उठाया गया कि क्या केंद्र सरकार Central Vigilance Commission Act, 2003 (CVC Act) के तहत Enforcement Directorate के Director का कार्यकाल (Tenure) बढ़ा सकती है, विशेषकर तब जब वह सेवानिवृत्ति (Superannuation) की आयु पार कर चुके हों।
इस मामले में यह भी तय किया गया कि कार्यकाल का विस्तार कानून की मंशा (Legislative Intent) और संवैधानिक सिद्धांतों (Constitutional Principles) के अनुरूप है या नहीं।
CVC Act के प्रावधान और Fundamental Rule 56
Central Vigilance Commission Act, 2003 (CVC Act) के तहत Director of Enforcement की नियुक्ति (Appointment) और कार्यकाल के लिए विशेष प्रावधान दिए गए हैं। Section 25 इस प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है और Director की स्वतंत्रता (Independence) और कार्यकाल की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
• Section 25(d) के अनुसार Director of Enforcement को “कम से कम दो साल” के कार्यकाल के लिए पद पर बने रहना चाहिए।
• Section 25(e) यह सुनिश्चित करता है कि Director का तबादला (Transfer) बिना उच्च-स्तरीय समिति (High-Powered Committee) की सहमति के नहीं किया जा सकता।
दूसरी ओर, Fundamental Rule 56 के अनुसार सरकारी सेवक (Government Servant) की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष होती है। इस नियम में केवल कुछ पदों को ही 60 वर्ष के बाद कार्यकाल विस्तार (Extension) की अनुमति दी गई है। Enforcement Director का पद इनमें शामिल नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के सामने मुख्य सवाल यह था कि क्या CVC Act के Section 25(d) और Fundamental Rule 56 के बीच कोई टकराव (Conflict) है और क्या Director का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
CVC Act की मंशा और न्यूनतम कार्यकाल (Legislative Intent and Minimum Tenure)
सुप्रीम कोर्ट ने Section 25(d) में दिए गए न्यूनतम कार्यकाल (Minimum Tenure) की मंशा को समझने के लिए कानून के उद्देश्य (Objective) का अध्ययन किया। यह प्रावधान Director of Enforcement के पद की स्थिरता (Stability) और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए लाया गया था।
यह प्रावधान Independent Review Committee की सिफारिशों (Recommendations) पर आधारित है। समिति ने कहा था कि Director का कार्यकाल निश्चित होना चाहिए ताकि वह बाहरी दबाव (External Pressure) से मुक्त होकर अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने Vineet Narain v. Union of India (1998) मामले पर भरोसा किया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि Director of Enforcement को स्वतंत्रता और कार्यकाल की सुरक्षा देने के लिए उनका कार्यकाल निश्चित होना चाहिए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि Section 25(d) में “कम से कम दो वर्ष” का अर्थ यह है कि Director को न्यूनतम दो वर्षों तक पद पर बने रहना चाहिए। इसका यह अर्थ नहीं है कि कार्यकाल दो वर्ष से अधिक नहीं हो सकता।
कार्यकाल विस्तार और General Clauses Act
केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि उसे Section 21 of the General Clauses Act, 1897 के तहत Director के कार्यकाल का विस्तार करने का अधिकार है। Section 21 के अनुसार, किसी आदेश (Order) को जारी करने की शक्ति में उसे संशोधित (Amend), बदलने (Vary) या समाप्त (Rescind) करने की शक्ति भी शामिल होती है, बशर्ते प्रक्रिया का पालन किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने Section 21 की व्याख्या करते हुए कहा कि Section 25 में कार्यकाल विस्तार पर कोई स्पष्ट रोक नहीं है। General Clauses Act का उपयोग तब किया जा सकता है जब किसी कानून में इसे विशेष रूप से निषिद्ध (Prohibited) न किया गया हो।
महत्वपूर्ण फैसले (Key Judgments Discussed)
1. Vineet Narain v. Union of India (1998)
इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने Director of Enforcement के लिए दो वर्ष का निश्चित कार्यकाल निर्धारित किया ताकि बाहरी हस्तक्षेप (External Influence) को रोका जा सके।
2. State of Punjab v. Harnek Singh (2002)
इस फैसले में कहा गया कि General Clauses Act सभी केंद्रीय कानूनों (Central Acts) का हिस्सा है जब तक कि इसे स्पष्ट रूप से बाहर नहीं रखा गया हो।
3. Kamla Prasad Khetan v. Union of India (1957)
इस फैसले में Section 21 के तहत किसी आदेश को संशोधित करने की शक्ति की व्याख्या की गई।
4. State of Bihar v. D.N. Ganguly (1959)
कोर्ट ने कहा कि Section 21 का उपयोग तब नहीं किया जा सकता जब वह किसी विशेष कानून की मंशा के खिलाफ हो।
5. Smt. S.R. Venkataraman v. Union of India (1979)
इसमें कहा गया कि किसी भी शक्ति का दुरुपयोग (Abuse of Power) अवैध है। हालांकि, इस मामले में कोर्ट ने पाया कि कार्यकाल विस्तार में कोई दुर्भावना (Malice) नहीं थी।
कार्यकाल विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के कार्यकाल विस्तार के अधिकार को स्वीकार किया लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि यह अधिकार केवल विशेष परिस्थितियों (Exceptional Circumstances) में ही प्रयोग किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि:
• कार्यकाल विस्तार केवल तब दिया जाना चाहिए जब जांच (Investigation) किसी महत्वपूर्ण चरण में हो।
• कार्यकाल विस्तार के लिए वही प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए जो मूल नियुक्ति (Original Appointment) के समय अपनाई गई थी।
• विस्तार केवल सीमित अवधि (Short Duration) के लिए होना चाहिए और इसके कारणों को लिखित रूप में दर्ज करना अनिवार्य है।
इस मामले में, कोर्ट ने पाया कि Director of Enforcement का कार्यकाल विस्तार उचित था क्योंकि कुछ महत्वपूर्ण जांचें चल रही थीं जिनका Trans-Border Implications था। यह निर्णय उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर आधारित था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार को CVC Act के Section 25 के तहत Director of Enforcement का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार है, बशर्ते प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाए। कोर्ट ने कार्यकाल विस्तार को सही ठहराया लेकिन यह भी कहा कि यह एक अपवाद (Exception) होना चाहिए, न कि सामान्य प्रक्रिया।
यह फैसला Director of Enforcement के कार्यकाल की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी भी महत्वपूर्ण जांच को बीच में न रोका जाए। इससे Director के पद की स्वतंत्रता (Independence) और विश्वसनीयता (Integrity) भी बनी रहती है।