केरल में मतदाता सूची के विशेष पुनर्विचार पर रोक की मांग पर हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा, सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी

Update: 2025-11-13 09:51 GMT

केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार की उस याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (LSGI) के आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को टालने की मांग की गई थी।

कोर्ट की टिप्पणी,

“बेहतर होगा सुप्रीम कोर्ट जाएं।”

जस्टिस वी.जी. अरुण की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही समान याचिकाएं लंबित हैं। इसलिए राज्य सरकार को वहीं जाना उचित होगा।

जस्टिस अरुण ने कहा,

“मैं यह नहीं कह रहा कि इस अदालत के पास न्यायिक पुनर्विचार का अधिकार नहीं है लेकिन जब यह विषय सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है तो इस अदालत के लिए यह उचित नहीं होगा कि वह यह तय करे कि पुनर्विचार प्रक्रिया जारी रहे या उसे टाला जाए। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सभी हाईकोर्ट से ऐसे मामलों की सुनवाई स्थगित रखने को कहा है।”

एडवोकेट जनरल गोपालकृष्ण कुरुप ने अदालत को बताया कि यदि SIR और स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ कराए जाते हैं तो राज्य प्रशासन ठप हो जाएगा। उन्होंने बताया कि चुनाव संचालन के लिए 1,76,000 कार्मिकों और 68,000 सुरक्षा कर्मियों की आवश्यकता है, जबकि SIR के लिए 25,668 अतिरिक्त कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी।

उन्होंने कहा,

“दोनों प्रक्रियाएं एक साथ चलने से प्रशासनिक गतिरोध की स्थिति बन जाएगी और नियमित सरकारी कार्य पूरी तरह रुक जाएंगे। राज्य में पहले ही चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है, इसलिए SIR को 21 दिसंबर तक टाल देना उचित रहेगा।”

चुनाव आयोग का विरोध दोनों प्रक्रियाएं साथ चल सकती हैं

भारत निर्वाचन आयोग की ओर से सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने राज्य की याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि SIR की प्रक्रिया का आधे से अधिक भाग पूरा हो चुका है और अब बीच में हस्तक्षेप करने से पूरी कवायद बाधित होगी।

द्विवेदी ने कहा,

“दोनों चुनाव आयोग राज्य और केंद्र आपसी समन्वय से कार्य कर रहे हैं। केवल 4-5 दिनों का मामूली ओवरलैप है। दोनों प्रक्रियाओं को सामंजस्यपूर्ण ढंग से संचालित किया जा सकता है।”

राज्य निर्वाचन आयोग ने घोषणा की है कि स्थानीय निकाय चुनाव दो चरणों में 9 और 11 दिसंबर 2025 को होंगे, जबकि मतगणना 13 दिसंबर को और पूरी चुनाव प्रक्रिया 18 दिसंबर तक पूरी की जाएगी।

वहीं SIR के तहत मतदान केंद्रों का युक्तिकरण 4 दिसंबर तक ड्राफ्ट मतदाता सूची का प्रकाशन 9 दिसंबर को होगा। आपत्तियां 8 जनवरी, 2026 तक स्वीकार की जाएंगी। अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी, 2026 को प्रकाशित की जाएगी।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस वी.जी. अरुण ने आदेश कल (गुरुवार) के लिए सुरक्षित रख लिया। अदालत ने संकेत दिया कि इस विषय पर अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप ही लिया जाएगा।

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