कोचीन देवस्वोम बोर्ड के अंतर्गत आने वाले मंदिरों में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध किया जाए: केरल हाईकोर्ट में याचिका
केरल हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की गई, जिसमें न्यायालय से यह घोषित करने की मांग की गई कि अन्य धार्मिक आस्थाओं से संबंधित व्यक्तियों को कोचीन देवस्वोम बोर्ड के अंतर्गत आने वाले मंदिरों या मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।
जस्टिस अनिल के नरेंद्रन और जस्टिस पी जी अजितकुमार की खंडपीठ ने कोचीन देवस्वोम बोर्ड को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिया।
यह याचिका त्रिपुनिथुरा में भगवान पूर्णाथ्र्यसा मंदिर के भक्तों द्वारा दायर की गई। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि पूजा समारोह, अनुष्ठान या आगम प्रणाली की पवित्र प्रकृति के प्रति कम सम्मान रखने वाले गैर-आस्तिक लोग पूर्णाथ्र्येस मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने विशेष रूप से मंदिर में मलयालम फिल्म विशेषम की शूटिंग की ओर इशारा किया।
यह आरोप लगाया गया कि फिल्म के अधिकांश क्रू गैर-हिंदू थे। इसे भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हुए धार्मिक अनुष्ठानों और समारोहों की अवहेलना करते हुए शूट किया गया।
यह कहा गया कि दिखाए गए दृश्य में, मंदिर में एक जोड़े की शादी होती है और दुल्हन को अपने प्रेमी के साथ भागते हुए दिखाया जाता है, जिससे मंदिर में हंगामा होता है।
यह तर्क दिया गया कि मंदिर में व्यावसायिक फिल्म की शूटिंग केरल हिंदू सार्वजनिक पूजा स्थल (प्रवेश का प्राधिकरण) नियम, 1965 के प्रावधानों के विरुद्ध है।
इस प्रकार याचिकाकर्ता मंदिर के अंदर नशे में धुत व्यक्तियों और जूते पहने हुए व्यक्तियों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने और मंदिर के अंदर वीडियो या व्यावसायिक फिल्मों की शूटिंग को प्रतिबंधित करने की मांग करता है।
याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों से यह भी निर्देश मांगा कि वे कोचीन देवस्वोम बोर्ड के अंतर्गत आने वाले सभी मंदिरों के प्रवेश द्वार पर उचित बोर्ड लगाएं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि मंदिर में प्रवेश करने वाला प्रत्येक भक्त इसके रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों का पालन करे।
मामले की सुनवाई 13 नवंबर को स्थगित कर दी गई।
केस टाइटल: दिलीप मेनन और अन्य बनाम कोचीन देवस्वोम बोर्ड और अन्य