पति या पत्नी के भरण-पोषण के साधनों की कमी को साबित करने का भार उस पक्ष पर, जो ऐसी असमर्थता व्यक्त करता है: केरल हाईकोर्ट

Update: 2024-08-24 06:11 GMT

Kerala High Court

केरल हाईकोर्ट ने माना कि भरण-पोषण के लिए दायर मुकदमे में यह साबित करना प्रतिवादी पर है कि उसके पास दावेदार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं। न्यायालय ने कहा कि किसी व्यक्ति के साधनों को साबित करने के लिए साक्ष्य उसके अनन्य ज्ञान के भीतर होंगे और इसलिए याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए दावे को गलत साबित करना उस पर है।

जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एम. बी. स्नेहलता की खंडपीठ ने यह टिप्पणी फैमलीं कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील पर विचार करते हुए की, जिसमें भरण-पोषण के लिए दायर मुकदमा इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि याचिकाकर्ता प्रतिवादी की वित्तीय स्थिति या राजकोषीय स्थिति को साबित नहीं कर सका।

न्यायालय ने कहा कि यद्यपि सामान्य परिस्थितियों में तथ्य को सिद्ध करने का भार उस पक्ष पर होता है, जो इसे सिद्ध करने का दावा करता है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 109/भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के अंतर्गत अपवाद प्रदान किया गया।

प्रावधान के अनुसार जब कोई तथ्य किसी व्यक्ति के विशेष ज्ञान में होता है तो उस तथ्य को सिद्ध करने का भार उस पर होता है।

मूल मामला बेटी द्वारा अपने पिता के विरुद्ध भरण-पोषण तथा भावी विवाह के व्यय के लिए दायर किया गया।

अपीलकर्ता ने न्यायालय के निर्णय को यह कहते हुए चुनौती दी कि प्रतिवादी के पास यह मामला भी नहीं है कि उसके पास याचिकाकर्ता का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं। उसका मामला यह था कि वह अपनी बेटी का भरण-पोषण करने के लिए उत्तरदायी नहीं है, क्योंकि वह एक महाविद्यालय में अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्यरत है।

अपीलकर्ता ने प्रस्तुत किया कि उसे मात्र 5000 रुपये प्रतिमाह वेतन मिल रहा है तथा वह उस राशि से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है। उसने कहा कि उसके पिता ने न तो उसका तथा न ही उसके भाई-बहन का भरण-पोषण किया है न ही भविष्य में उसके विवाह के व्यय के लिए कोई प्रावधान किया है। उसने फैमिली कोर्ट के समक्ष यह भी दावा किया कि उसके पास उन्हें पालने के साधन हैं, क्योंकि वह रियल एस्टेट व्यवसाय और वित्तपोषण में लगा हुआ व्यक्ति है।

पिता ने कहा था कि वह रियल एस्टेट व्यवसाय या धन उधार देने की गतिविधियों में नहीं है। हालांकि न्यायालय ने पाया कि उसने अपनी आय या व्यवसाय दिखाने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया है। न्यायालय ने माना कि यदि वह अपनी आय के बारे में सबूत पेश करने में विफल रहता है, तो उसके खिलाफ वैध अनुमान लगाया जाएगा।

इस प्रकार न्यायालय ने दोनों पक्षों को सबूत पेश करने का अवसर देने के बाद मामले को पुनर्विचार के लिए फैमिली कोर्ट में वापस भेज दिया।

केस टाइटल- अंकिता जॉय बनाम जॉय ऑगस्टीन @ ऑगस्टी

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