पीड़ित व्यक्ति संशोधन याचिका दायर करके सेशन कोर्ट के आदेश को धारा 29 DV Act के तहत चुनौती दे सकता है: केरल हाईकोर्ट

Update: 2024-09-02 07:53 GMT

केरल हाईकोर्ट ने माना कि पीड़ित व्यक्ति आपराधिक संशोधन याचिका के माध्यम से घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम (DV Act) की धारा 29 के तहत जारी सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकता है।

जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत दायर एक याचिका में यह फैसला सुनाया, जिसमें सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई, जिसने याचिकाकर्ता की अपील खारिज की थी।

याचिकाकर्ता की पत्नी ने डीवी अधिनियम की धारा 12 के तहत न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कोर्ट का रुख किया था।

याचिकाकर्ता के खिलाफ भरण-पोषण आदेश प्राप्त किया। इस आदेश के खिलाफ एक चुनौती को मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया था।

हालांकि DV Act सिविल कानून है लेकिन दंड प्रक्रिया संहिता (CrPc) अधिनियम की कुछ धाराओं पर लागू होती है। अधिनियम की धारा 28 कहती है कि CrPc धारा 12 पर लागू होती है, जिसके तहत न्यायालय के समक्ष आवेदन किया जाता है।

अधिनियम की धारा 29 के तहत मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील की जा सकती है। अधिनियम में यह उल्लेख नहीं है कि दंड प्रक्रिया संहिता धारा 29 पर लागू होती है या नहीं।

याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि CrPc प्रथम दृष्टया न्यायालय के चरण से आगे लागू नहीं होती है। इसलिए याचिकाकर्ता के पास उस चरण से आगे CrPc के तहत दिए गए उपचार नहीं हैं।

न्यायालय ने दिनेश कुमार यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2018) में पूर्ण पीठ के निर्णय का हवाला दिया जहां यह माना गया कि चूंकि ऐसा कुछ भी नहीं है, जो अपील प्रावधान में CrPc के आवेदन के बहिष्कार को इंगित करता हो। इसलिए सेशन कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट के समक्ष अपील और पुनर्विचार के सामान्य उपचार उपलब्ध हैं।

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस दृष्टिकोण से सहमत हैं।

न्यायालय ने माना कि अधिनियम की धारा 12 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष मूल आवेदन सीआरपीसी द्वारा शासित है और मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ अपील सेशन कोर्ट के समक्ष की जाती है, इसलिए सेशन कोर्ट के आदेश के खिलाफ CrPc के तहत आपराधिक पुनर्विचार याचिका का उपाय उपलब्ध होगा।

न्यायालय ने कहा कि जब सीआरपीसी को धारा 12 पर लागू किया जाता है तो इसका उद्देश्य इसे उसके तहत शुरू की गई सभी कार्यवाहियों पर लागू करना है।

केस टाइटल- सी. के. कुंजुमन बनाम केरल राज्य और अन्य

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