क्या सीनियर के रूप में नामित न किए गए वकील वकालतनामा के बिना न्यायालय के समक्ष प्रस्तुतियां दे सकते हैं: केरल हाईकोर्ट तय करेगा
केरल हाईकोर्ट ने यह तय करने के लिए वकीलों की मदद मांगी कि क्या नामित सीनियर न किए गए वकील वकालतनामा के बिना न्यायालय के समक्ष प्रस्तुतियां दे सकते हैं और मामले पर बहस कर सकते हैं।
जस्टिस ए. मुहम्मद मुस्ताक और जस्टिस एस. मनु की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में न्यायालय की सहायता करने के इच्छुक कोई भी वकील इस संबंध में प्रस्तुतियां दे सकता है।
सीनियर एडवोकेट एस. श्रीकुमार, एडवोकेट श्रीकुमार चेलूर, डॉ. जॉर्ज अब्राहम और एडवोकेट दीपू थंकन, जो न्यायालय के समक्ष उपस्थित थे, उन्होंने न्यायालय की सहायता करने के लिए तुरंत सहमति व्यक्त की।
यह मामला तब उठा जब एडवोकेट यशवंत शेनॉय डॉ. आयशा अब्राहम के मुवक्किल के लिए पेश हुए।
एडवोकेट शेनॉय ने न्यायालय को अवगत कराया कि एडवोकेट एक्ट की धारा 34(1) के अंतर्गत हाईकोर्ट द्वारा बनाए गए नियमों के नियम 2 के प्रावधान के अनुसार वह ऐसे मामलों में भी न्यायालय के समक्ष उपस्थित हो सकता, जहां उसके पास वकालत नहीं है।
नियम 2 इस प्रकार है:
किसी भी कानून में अन्यथा प्रावधान के सिवाय कोई भी वकील किसी भी न्यायालय में किसी भी कार्यवाही में किसी व्यक्ति के लिए उपस्थित होने, दलील देने या कार्य करने का हकदार नहीं होगा, जब तक कि वकील ऐसे व्यक्ति या उसके मान्यता प्राप्त प्रतिनिधि द्वारा हस्ताक्षरित लिखित नियुक्ति दाखिल न कर दे और उसकी स्वीकृति के प्रतीक के रूप में एडवोकेट द्वारा हस्ताक्षरित हो:
बशर्ते कि जहां किसी वकील ने किसी कार्यवाही में पहले से ही नियुक्ति दाखिल कर दी हो, वहां किसी अन्य अधिवक्ता के लिए, जो केवल दलील देने के उद्देश्य से कार्यवाही में उपस्थित होने के लिए नियुक्त किया गया, उपस्थिति का ज्ञापन दाखिल करना या न्यायालय के समक्ष यह घोषित करना पर्याप्त होगा कि वह उस अधिवक्ता के निर्देश पर उपस्थित होता है जिसने कार्यवाही में अपनी नियुक्ति पहले ही दाखिल कर दी।
इसके अलावा, इसमें निहित कोई भी बात ऐसे अधिवक्ता पर लागू नहीं होगी, जिसे न्यायालय द्वारा किसी कार्यवाही में न्यायालय के न्यायमित्र की सहायता करने के लिए अनुरोध किया गया हो।
एडवोकेट यशवंत शेनॉय ने आगे कहा कि उन्होंने नियमों में स्पष्टता प्राप्त करने के लिए चीफ जस्टिस के समक्ष शिकायत ज्ञापन दायर किया। हालांकि, शिकायत समिति ने ज्ञापन खारिज कर दिया।
दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि नियम की व्याख्या करने की आवश्यकता है। न्यायालय यह तय करने के लिए तैयार है कि वकालत के बिना किसी वकील को किस सीमा तक दलील देने की अनुमति दी जा सकती है।
मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी।
केस टाइटल- शर्ली अल्बर्ट बनाम जिला कलेक्टर