किंगफिशर के बकाया कर्ज की जानकारी मांगने वाली विजय माल्या की याचिका पहली नजर में स्वीकार्य नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को मौखिक रूप से कहा कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या द्वारा दायर याचिका — जिसमें उसने अपने और किंगफिशर (United Breweries Holdings Ltd) से जुड़ी बकाया रकम की जानकारी मांगी है — स्वीकार्य नहीं है।
जस्टिस ललिता कन्नेगांटी ने कहा कि माल्या को यह याचिका इस अदालत में नहीं, बल्कि कंपनी कोर्ट में दायर करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, “यह याचिका इस अदालत में कैसे बनी रह सकती है? अगर जानकारी चाहिए, तो कंपनी कोर्ट में आवेदन करें।”
माल्या का कहना था कि किंगफिशर एयरलाइंस के परिसमापन के बाद ₹6,200 करोड़ चुकाने का आदेश था, लेकिन बैंकों ने उससे ₹14,000 करोड़ वसूल लिए हैं।
बैंकों की ओर से सीनियर एडवोकेट विक्रम हुईलगोल ने कहा कि परिसमापन की कार्यवाही कंपनी कोर्ट में चल रही है और माल्या वहीं आवेदन कर सकता है।
आधिकारिक परिसमापक की वकील कृतिका राघवन ने बताया कि माल्या के खिलाफ पहले से ही ₹17,000 करोड़ की गड़बड़ी (misfeasance) याचिका दायर की गई है, इसलिए उसे यह याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है।
अदालत ने कहा कि माल्या जो भी जानकारी चाहता है, वह कंपनी कोर्ट से प्राप्त कर सकता है, और मामले की अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी।
माल्या की याचिका में बैंकों से वसूली और संपत्तियों का पूरा ब्यौरा देने तथा 10 अप्रैल 2017 के संशोधित रिकवरी सर्टिफिकेट के तहत आगे की कार्रवाई रोकने की मांग की गई है।