कर्नाटक हाईकोर्ट ने प्रज्वल रेवन्ना पर सामूहिक बलात्कार संबंधी टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ सार्वजनिक भाषण के दौरान कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए दायर जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया, जिसमें कहा गया था कि हासन के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना ने सामूहिक बलात्कार किया है।
चीफ जस्टिस एन वी अंजारिया और जस्टिस के वी अरविंद की खंडपीठ ने अखिल भारतीय दलित एक्शन कमेटी द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी करने से इनकार किया।
उन्होंने कहा,
"कोई तात्कालिकता नहीं, प्रतिवादियों को कोई नोटिस जारी नहीं किया जाना चाहिए। मामले को 21 अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें।"
आरोप है कि 2 मई को शिवमोगा और रायचूर में आयोजित चुनावी रैलियों में भाषण दिए गए, जहां 7 मई को मतदान हुआ था।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि हसन छोटा शहर है और नफरत भरे भाषण से हर घर प्रभावित होता है और अब हर घर दूसरे घर पर शक कर रहा है।
पीआईएल में गांधी के खिलाफ उनके कथित नफरत भरे भाषण के लिए कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंची और संविधान का अनादर किया गया।
एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिना रामू के माध्यम से दायर याचिका में गांधी को महिलाओं से असंवैधानिक भाषणों के लिए बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश देने की भी मांग की गई।
इसके अलावा याचिका में सार्वजनिक पद के घोर दुरुपयोग जनता के विश्वास को भंग करने, संवैधानिक प्रावधानों भारतीय न्याय संहिता 2023 के प्रावधानों का उल्लंघन संसदीय चुनाव 2024 में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए गांधी पर सांकेतिक लागत लगाने की मांग की गई।
केस टाइटल: अखिल भारतीय दलित कार्रवाई समिति ® और राहुल गांधी और अन्य