मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सीआरपीसी की धारा 410 के तहत अतिरिक्त सीएमएम के समक्ष लंबित मामलों को ट्रांसफर नहीं कर सकते: कर्नाटक हाइकोर्ट
कर्नाटक हाइकोर्ट ने माना कि सीआरपीसी की धारा 410 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अतिरिक्त मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता वाली दो अलग-अलग अदालतों के समक्ष लंबित दो मामलों को एक ही रैंक के न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता वाली एक अदालत में ट्रांसफर नहीं कर सकते है।
जस्टिस एस विश्वजीत शेट्टी की एकल पीठ ने रेडिकाएल वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका स्वीकार कर ली और मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा पारित दिनांक 13-01-2023 का आदेश रद्द कर दिया, जिसके द्वारा इसने XXVIII अतिरिक्त मुख्य 3 मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, बेंगलुरु की फाइल पर CC नंबर 17424/2020 और IV अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, बेंगलुरु की फाइल पर CC नंबर 12667/2021 को कानून के अनुसार निपटान के लिए XLI अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, बेंगलुरु की अदालत में ट्रांसफर कर दिया।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सीआरपीसी की धारा 410 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में लंबित मामले को दूसरे अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में ट्रांसफर नहीं कर सकती। उन्होंने प्रस्तुत किया कि उक्त शक्ति केवल सीआरपीसी की धारा 408 के तहत सेशन जज के अधिकार क्षेत्र वाले न्यायालय में निहित है।
ए.के. सिंह, विशेष रेलवे मजिस्ट्रेट, जबलपुर बनाम वीरेंद्र कुमार जैन वकील - 2001 (4) एम.पी.एल.जे. 324 के मामले में मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया गया। साथ ही चंद्रकांतभाई भाईचंदभाई शर्मा बनाम गुजरात राज्य और अन्य के मामले में गुजरात हाइकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया गया, जिसका विशेष आपराधिक आवेदन (क्वैशिंग) नंबर 4884/2015 दिनांक 08.10.2015 को निपटारा किया गया।
प्रतिवादियों ने महफूसखान महबूब शेख बनाम आर.जे. पारख - कानून (बीओएम) - 1979- 11-8 के मामले में बॉम्बे हाइकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें यह माना गया कि मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट की अदालत के पास अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट की अदालत से दूसरे अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट की अदालत में लंबित मामले को ट्रांसफर करने की शक्ति है।
उन्होंने तर्क दिया,
"सीआरपीसी की धारा 410 के तहत वापसी की शक्ति में स्थानांतरित करने की शक्ति शामिल है।"
पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 408 सत्र न्यायाधीश को आपराधिक न्यायालय से दूसरे आपराधिक न्यायालय में अपने सत्र प्रभाग में मामलों और अपीलों को ट्रांसफर करने की शक्ति प्रदान करती है। सीआरपीसी की धारा 409 और 410 सेशन जज और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट को मामलों/अपीलों को वापस लेने की शक्तियों से संबंधित है।
याचिकाकर्ता द्वारा उद्धृत केस कानूनों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा,
"ए.के. सिंह (सुप्रा) और चंद्रकांतभाई भाईचंदभाई शर्मा (सुप्रा) के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और गुजरात हाइकोर्ट ने कानून की सही स्थिति निर्धारित की है। मैं उससे पूरी तरह सहमत हूं।"
उन्होंने कहा,
"इन परिस्थितियों में मेरा मानना है कि सीआरपीसी की धारा 410 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए बेंगलुरु के मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट की अदालत ने विवादित आदेश पारित नहीं किया होगा।"
इसके बाद कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली और आदेश रद्द कर दिया।
केस टाइटल- रेडिकल वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड और पद्मनाभ टी जी