घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत महिला द्वारा दायर आवेदन को ट्रायल कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किए बिना या जांच किए बिना खारिज नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2024-07-04 09:25 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत महिला द्वारा दायर आवेदन को ट्रायल कोर्ट द्वारा प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए बिना या जांच किए बिना खारिज नहीं किया जा सकता।

जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने महिला द्वारा दायर याचिका स्वीकार की और ट्रायल द्वारा पारित दिनांक 18-03-2024 का आदेश रद्द कर दिया, जिसने आवेदन पर विचार करते हुए इसे खारिज कर दिया था। साथ ही कहा था कि मामला किसी भी घरेलू हिंसा को दर्शाता नहीं है।

शिकायत पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा,

"अधिनियम की धारा 12 के तहत दायर आवेदन पर गौर करने पर प्रथम दृष्टया यह प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि प्रतिवादियों द्वारा घरेलू हिंसा की गई।"

इसके बाद अदालत ने कहा,

"संबंधित अदालत द्वारा कम से कम नोटिस या कम से कम जांच की जानी चाहिए थी। शिकायत खारिज करके उसे जड़ से खत्म करना निस्संदेह पत्नी-आवेदक के लिए बहुत बड़ा पूर्वाग्रह पैदा करता है। यदि बाद में कोई मामला नहीं पाया जाता तो संबंधित अदालत द्वारा शिकायत खारिज न करते हुए उचित आदेश पारित किए जाने चाहिए, क्योंकि याचिकाकर्ता पत्नी द्वारा संबंधित अदालत से भरण-पोषण आवास और अन्य सभी अंतरिम राहत भी मांगी गई।"

इस प्रकार अदालत ने माना कि प्रतिवादियों को कोई नोटिस भी जारी नहीं किया गया, इसलिए विवादित आदेश को रद्द किया जाता है। आवेदन को ट्रायल कोर्ट के समक्ष बहाल किया जाता है। साथ ही ट्रायल कोर्ट को अपनी प्रक्रिया को विनियमित करने और इसके गुण-दोष के आधार पर आगे बढ़ने का निर्देश दिया जाता है।

केस टाइटल- ABC और XYZ और अन्य

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