बीमा कंपनी केवल गलत पॉलिसी नंबर के आधार पर अपने दायित्व से इनकार नहीं कर सकती: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में यह निर्णय दिया कि यदि बीमाकर्ता अपनी ओर से सही पॉलिसी प्रस्तुत करने में असफल रहता है तो केवल इस आधार पर कि दावेदारों ने गलत पॉलिसी नंबर दिया है बीमा कंपनी अपने दायित्व से मुक्त नहीं हो सकती।
जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा,
"सिर्फ इसलिए कि दावेदारों ने गलत पॉलिसी नंबर प्रदान किया, बीमा कंपनी की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती, क्योंकि यह अपेक्षित नहीं है कि दावेदार सटीक पॉलिसी नंबर जानें। उन्होंने यह नंबर कहीं से प्राप्त कर न्यायाधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किया था।"
यह निर्णय रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर अपील में आया, जिसमें कंपनी ने 20,49,000 के मुआवजे को चुनौती दी। यह मुआवजा मोटर वाहन दुर्घटना दावा ट्राइब्यूनल पाकुड़ द्वारा दावेदारों को प्रदान किया गया था।
मामले की पृष्ठभूमि:
दावेदार ने अपने पति और पिता की मृत्यु पर मुआवजा पाने के लिए दावा दायर किया, जो सड़क दुर्घटना में मारे गए थे। उक्त दुर्घटना में वाहन चालक के खिलाफ धारा 279, 337, 338 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया। दावेदारों का दावा था कि चालक की लापरवाही और तेज गति के कारण यह हादसा हुआ, जिससे दो लोगों की मौत हुई जिनमें से एक परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था।
बीमा कंपनी का तर्क था:
ट्रिब्यूनल के समक्ष सही बीमा पॉलिसी प्रस्तुत नहीं की गई। गलत पॉलिसी नंबर के आधार पर बीमा कंपनी पर दायित्व नहीं डाला जा सकता। वाहन स्वामी को भुगतान के लिए उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए। चार्जशीट उचित धाराओं में दाखिल नहीं की गई, जिससे लापरवाही साबित नहीं हुई। पोस्टमार्टम नहीं हुआ, इसके बावजूद ट्रिब्यूनल ने मुआवजा दे दिया।
हाईकोर्ट ने कहा,
"केवल इसलिए कि चार्जशीट में उपयुक्त धाराएं नहीं हैं, इसका यह अर्थ नहीं है कि दुर्घटना हुई ही नहीं। गवाहों के मौखिक बयान दुर्घटना और मृतक की कमाई पर स्पष्ट और स्थिर हैं। बीमा कंपनी को अपने तर्क साबित करने थे, जिसमें वह असफल रही और इस आधार पर ट्रिब्यूनल का निर्णय उचित है।"
अंततः हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल का निर्णय बरकरार रखते हुए बीमा कंपनी की अपील खारिज कर दी।
केस टाइटल: Reliance General Insurance Company Limited बनाम लीलमुनि मदैयन @ लीलमुनि मद्यान