CrPc की धारा 125 के तहत भरण-पोषण आदेश पारित करने के लिए वैध विवाह का अस्तित्व होना आवश्यक': झारखंड हाईकोर्ट

Update: 2024-07-22 06:59 GMT

झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPc) की धारा 125 के तहत आदेश जारी करने के लिए वैध विवाह होना आवश्यक है।

अदालत ने धारा 125 के तहत जारी भरण-पोषण आदेश खारिज किया। उक्त आदेश में इस बात पर जोर दिया गया कि याचिकाकर्ता की दूसरी शादी में कानूनी वैधता नहीं है, जब तक कि उसका अपनी पहली पत्नी से वैध रूप से तलाक न हो जाए।

जस्टिस गौतम कुमार चौधरी ने कहा,

"CrPc की धारा 125 के तहत कोई भी आदेश पारित करने के लिए वैध विवाह का अस्तित्व होना आवश्यक है। आवेदक (AW-3) ने खुद स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता की पत्नी और बच्चे हैं। पैरा 3 में उसने यह बयान दिया कि उसकी पहली पत्नी पति से अलग रह रही थी और वह दूसरी पत्नी है।”

उन्होंने कहा,

“जब तक याचिकाकर्ता अपनी पहली पत्नी से वैध रूप से तलाक नहीं ले लेता, तब तक याचिकाकर्ता के विवाह को कोई कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी। इस मामले में जब तक कि वैवाहिक स्थिति में विच्छेद का सुझाव देने के लिए कोई सामग्री न हो, कानून की नजर में किसी भी दूसरे विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती।”

इस मामले में याचिकाकर्ता को प्रतिपक्षी नंबर 2 को 4000 रुपये प्रति माह भुगतान करने का निर्देश देने वाला भरण-पोषण आदेश शामिल था।

याचिकाकर्ता ने आपराधिक पुनर्विचार याचिका के माध्यम से इस आदेश को चुनौती दी, जिसमें तर्क दिया गया कि प्रतिपक्षी नंबर 2 उसकी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी नहीं थी।

याचिकाकर्ता ने यह भी उजागर किया कि भरण-पोषण आवेदन में कथित विवाह की तिथि, समय और स्थान जैसे विवरणों का अभाव था।

इसके अलावा उन्होंने तर्क दिया कि पहली शादी के रहते दूसरी शादी करना कानूनी रूप से वैध नहीं है, इस प्रकार विपरीत पक्ष संख्या 2 का उनकी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी होने का दावा अमान्य हो जाता है।

इन विचारों के बाद अदालत ने भरण-पोषण आदेश रद्द कर दिया।

केस टाइटल- रेंगहा ओरांव @ रेघा ओरांव बनाम झारखंड राज्य

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