झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य शिक्षा विभाग के दो सीनियर अधिकारियों को न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करने और वेतन रोकने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया

Update: 2024-12-05 07:16 GMT

झारखंड हाईकोर्ट ने विद्यालय शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव तथा माध्यमिक शिक्षा निदेशक को न्यायालय के पूर्व निर्देशों का पालन न करने तथा उसके आदेशों को दरकिनार करने का प्रयास करने के लिए वेतन रोकने का निर्देश दिया।

मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संजय प्रसाद ने बार-बार किए गए कदाचार पर प्रकाश डालते हुए टिप्पणी की,

"यह न्यायालय राज्य प्राधिकारियों के दृष्टिकोण को समझने में विफल रहा है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं को बार-बार विभाग के राज्य प्राधिकारियों, विशेषकर झारखंड सरकार के माध्यमिक शिक्षा निदेशक के गलत कार्यों के लिए इस न्यायालय के समक्ष आने के लिए बाध्य होना पड़ा है।"

याचिकाकर्ता दीपक कुमार तथा रश्मि प्रसाद ने अवमानना आवेदन दायर किए, जिन्होंने उनकी नियुक्तियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों का अनुपालन न करने का आरोप लगाया।

इससे पहले न्यायालय ने माना था कि नियुक्ति के लिए उनकी स्वीकृति को अस्वीकार करने का आदेश निदेशक (माध्यमिक शिक्षा), एचआरडी द्वारा उचित विचार-विमर्श किए बिना पारित किया गया। झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग और अधिकारियों को कानून के अनुसार मामले में विचार-विमर्श कर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया। इसके बावजूद रिट याचिकाकर्ताओं के दावों को 2016 में फिर से खारिज कर दिया गया।

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि राज्य अनुपालन में देरी करने के लिए अपनी सुविधानुसार अपने कानूनी सलाहकार को बदल रहा है। इस प्रथा की आलोचना करते हुए न्यायालय ने जोर दिया कि इस प्रकार, प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा अपनी सुविधानुसार अनुचित दृष्टिकोण अपनाने के कारण यह मुकदमेबाजी का तीसरा दौर था और वे अलग-अलग रुख अपना रहे हैं।

न्यायालय ने पाया कि सुनवाई के दौरान संयुक्त सचिव और जिला शिक्षा अधिकारी मौजूद थे, जबकि माध्यमिक शिक्षा निदेशक अनुपस्थित थे।

न्यायालय ने कहा कि पिछली सुनवाई में अपनाए गए उदार दृष्टिकोण के बावजूद अधिकारी आदेशों का पालन करने में विफल रहे।

न्यायालय ने टिप्पणी की है कि यह स्पष्ट है कि राज्य अपनी सुविधानुसार अपने वकील को बदल रहा है। यह न्यायालय राज्य सरकार के अधिकारियों के आचरण की निंदा करता है।

उनकी अनुपस्थिति और लगातार गैर-अनुपालन का हवाला देते हुए न्यायालय ने सचिव और निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उनसे यह बताने को कहा गया कि अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।

मामले को अब 3 जनवरी, 2025 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।

हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि सचिव, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, झारखंड सरकार और निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, झारखंड सरकार इस न्यायालय के अगले आदेश तक कोई वेतन नहीं लेंगे।

केस टाइटल: दीपक कुमार बनाम झारखंड राज्य

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