वेतन सुरक्षा का लाभ सीनियरिटी निर्धारण का आधार नहीं बन सकता, जब कर्मचारी स्वेच्छा से दूसरी सेवा में शामिल हो: झारखंड हाईकोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि किसी कर्मचारी को दी गई वेतन सुरक्षा या पूर्व सेवा अवधि की गिनती केवल पेंशन संबंधी लाभों के लिए होती है। यह किसी अलग सेवा/कैडर में सीनियरिटी का दावा करने का अधिकार नहीं देती, खासकर जब कर्मचारी ने स्वेच्छा से सेवा बदली हो।
जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले Director of School Education v. A.N. Kandaswamy का हवाला देते हुए कहा कि केवल वेतन संरक्षण या चयन/विशेष ग्रेड देने के लिए पिछली सेवा की गिनती से यह नहीं माना जा सकता कि कर्मचारी पुरानी सेवा का ही हिस्सा बना रहा।
कोर्ट ने कहा,
“वेतन सुरक्षा या पेंशन लाभ के लिए सेवा अवधि गिनना सीनियरिटी से संबंधित नहीं है, क्योंकि इससे अन्य कर्मचारियों की सेवा में हस्तक्षेप नहीं होता, जबकि सीनियरिटी में परिवर्तन अन्य कर्मियों पर प्रभाव डालता है।”
यह टिप्पणी उन याचिकाकर्ताओं की दलील पर आई, जिन्होंने कहा कि यदि उन्हें वेतन सुरक्षा मिली है तो उनकी पूर्व सेवा अवधि को सीनियरिटी निर्धारण में भी गिना जाना चाहिए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सीनियरिटी की गणना सेवा में वास्तविक प्रवेश की तिथि से ही होगी। यह किसी रिक्ति की तिथि से या पिछली सेवा से जोड़कर नहीं दी जा सकती, जब तक सेवा नियमों में ऐसा स्पष्ट रूप से उल्लेख न हो।
मामला बिनोद कुमार महतो व अन्य बनाम राज्य झारखंड व अन्य से जुड़ा था, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने 2010 में प्रशासनिक सेवा ज्वाइन की थी और 2012 में पुलिस सेवा में स्वेच्छा से स्थानांतरित हुए थे। उन्होंने अपनी सीनियरिटी 2010 से गिनने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा,
“सीनियरिटी का निर्धारण सेवा में वास्तविक शामिल होने की तिथि से ही होगा। स्वेच्छा से सेवा बदलने पर पूर्व सेवा का लाभ सीनियरिटी के लिए नहीं दिया जा सकता। यह कोई नीति निर्णय नहीं था बल्कि याचिकाकर्ताओं का स्वेच्छिक विकल्प था।”
अंततः कोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखते हुए अपील खारिज कर दी।