1947 के PoJK विस्थापितों को ST दर्जा और PSP प्रमाणपत्र देने की मांग पर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने वर्ष 1947 में पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) से विस्थापित हुए लोगों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा और पहाड़ी भाषी समुदाय (PSP) के प्रमाणपत्र जारी किए जाने की मांग से जुड़ी जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।
यह जनहित याचिका जम्मू-कश्मीर एक्शन कमेटी की ओर से उसके अध्यक्ष गुरदेव सिंह द्वारा दायर की गई।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस राजनेश ओसवाल की खंडपीठ ने की।
याचिका में कहा गया कि वर्ष 2024 में पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने के बावजूद, 1947 में PoJK से विस्थापित हुए परिवारों को ST और PSP प्रमाणपत्रों से वंचित रखा जा रहा है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि समान जातीय और भाषाई पहचान होने के बावजूद, निवास आधारित मानदंडों के आधार पर इन विस्थापितों को लाभ नहीं दिया जा रहा है।
अदालत ने संज्ञान में लिया कि इससे पहले 24 नवंबर, 2025 के आदेश के जरिए प्रतिवादियों को निर्देश प्राप्त करने और जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया गया। मौजूदा सुनवाई के दौरान, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की ओर से पेश सीनियर एडिशनल एडवोकेट जनरल मोनिका कोहली ने अदालत से आग्रह किया कि औपचारिक नोटिस जारी किया जाए ताकि याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल किया जा सके।
खंडपीठ ने इस आग्रह को स्वीकार करते हुए नोटिस जारी करने का आदेश दिया। मोनिका कोहली ने प्रतिवादियों की ओर से नोटिस स्वीकार किया और जवाब दाखिल करने के लिए अल्प समय की मांग की।
इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 फरवरी, 2026 की तारीख तय की।