मुकदमा लंबित होने पर भी अपराधी को अपनी जमीन बेचने का अधिकार: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित होना, उसकी अचल संपत्ति बेचने के अधिकार से उसे वंचित करने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि “अपराधी को भी अपनी जमीन बेचने का अधिकार है।”
जस्टिस संजय धर की पीठ ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसे अरुण देव सिंह ने दायर किया था। उन्होंने यह याचिका इसलिए दाखिल की थी क्योंकि राजस्व अधिकारियों ने उनकी ज़मीन (गांव कहनाल, तहसील बिश्नाह, जिला जम्मू) के लिए फर्द इंतिखाब (राजस्व अभिलेख) जारी करने से इंकार कर दिया था।
तहसीलदार ने शर्त रखी थी कि जब तक अपराध शाखा से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) नहीं मिलता, तब तक फर्द इंतिखाब जारी नहीं किया जाएगा, क्योंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक FIR दर्ज है और जांच जारी है।
कोर्ट ने पाया कि दर्ज FIR का उस जमीन से कोई लेना-देना नहीं है और इस आधार पर राजस्व अभिलेख रोकने की वैधता पर सवाल उठाया।
जस्टिस धर ने कहा, “यह समझ से परे है कि संबंधित तहसीलदार जमीन के फर्द इंतिखाब जारी करने से पहले अपराध शाखा, जम्मू से NOC क्यों मांग रहा है।”
कोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि केवल आपराधिक मामला दर्ज होने भर से किसी व्यक्ति के संपत्ति अधिकार समाप्त नहीं होते। आदेश में कहा गया:
“अपराधी को भी अपनी जमीन बेचने का अधिकार है। सिर्फ इसलिए कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज है, जमीन की बिक्री के लिए राजस्व अभिलेख जारी करने से इनकार नहीं किया जा सकता। प्रतिवादी की यह कार्रवाई कानूनन टिकाऊ नहीं है।”
याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने तहसीलदार, बिश्नाह (प्रतिवादी संख्या-3) को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के फर्द इंतिखाब जारी करने संबंधी आवेदन पर, कोर्ट की टिप्पणियों के मद्देनज़र, कानून के अनुसार सात दिनों के भीतर निर्णय लें।